नक्षत्र वाटिका के शुभारंभ स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री ने की घोषणा
उज्जैन, अग्निपथ। जीवाजी वेधशाला में शैक्षणिक गतिविधियों की शुरुआत की मांग उठने पर स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री इंदरसिंह परमार ने अगले सत्र से यहां खगोल विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है।
परमार यहां वेधशाला में नक्षत्र वाटिका का शुभारम्भ करने आए थे। महर्षि पतंजली संस्कृत संस्थान एवं स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शासकीय जीवाजी वेधशाला उज्जैन में शुक्रवार नक्षत्र वाटिका के शुभारंभ कार्यक्रम में परमार ने कहा कि प्रारम्भ से भारत देश विश्वगुरू था। देश में रामराज की परिकल्पना थी कि सबको समान अधिकार मिले। राष्र्म के नर्निर्माण में आमूलचूल परिवर्तन करने की थी। इस कड़ी में भारत सरकार के द्वारा शिक्षा नीति में आमूलचूल परिवर्तन कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति अधिनियम लागू किया गया है। नई शिक्षा नीति के कारण कई क्षेत्रों में लाभ आने वाले समय में होंगे। खगोलीय घटनाओं की जानकारी नई पीढ़ी को दी जाना चाहिये।
साइंस का सब सेंटर बनाएंगे: यादव
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हर इंसान को खगोलीय ज्ञान होना चाहिये। किसी भी देश की उन्नति में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान रहता है। उन्होंने खगोलीय जानकारी उदाहरण सहित प्रस्तुत की। डॉ.यादव ने कहा कि जीवाजी वेधशाला में धूप घड़ी के साथ-साथ मध्यकालीन यंत्र के माध्यम से समय का ज्ञान मिलता है। उज्जैन को साइंस, गणित आदि से जोडक़र उज्जैन में साइंस का सब-सेंटर बनाया जायेगा। उज्जैन को विज्ञान की नगरी बनाई जा रही है। इस मौके पर सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा कि जीवाजी वेधशाला में वराहमिहिर की मूर्ति भी लगाई जाना चाहिये। अतिथि के तौर पर विधायक पारस जैन ने भी संबोधित किया। महर्षि पतंजली संस्कृत संस्थान के उपनिदेशक श्री प्रशांत डोलस ने स्वागत उद्बोधन देते हुए वेधशाला एवं नक्षत्र वाटिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अतिथियों का स्वागत महर्षि पतंजली संस्कृत संस्थान के निदेशक आरपी तिवारी, उपनिदेशक प्रशांत डोलस, संयुक्त संचालक लोकशिक्षण संभाग उज्जैन जयश्री पिल्लई, जिला शिक्षा अधिकारी रमा नाहटे, आदि मौजूद थे।
यह है नक्षत्र वाटिका में
जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ.आरपी गुप्त ने इस अवसर पर नक्षत्र वाटिका की जानकारी देते हुए बताया कि नक्षत्र वाटिका के मध्य में सूर्य तथा आठ ग्रहों के मॉडल बनाये गये हैं। इनकी सूर्य से दूरी का क्रम, तुलनात्मक आकार, मूल रंग तथा परिभ्रमण को दर्शाया गया है। प्रथम वृत्ताकार पथ में 30-30 अंश के आधार पर 12 राशियों, उनके तारा समूह व आकार को दर्शाया गया है। प्रत्येक राशि से सम्बन्धित वनस्पति को लगाया गया है। द्वितीय वृत्ताकार पथ में 13 डिग्री 20 के आधार पर 27 नक्षत्रों को दर्शाया गया है। चार रंग के ग्रेनाइट के द्वारा प्रत्येक नक्षत्र को 3 डिग्री 20 के चारों चरणों को दर्शाया गया है। नक्षत्र वाटिका के वृत्ताकार पथ में राशियों व नक्षत्रों का समन्वय इस प्रकार से किया गया है कि आप प्रत्येक राशि से सम्बन्धित नक्षत्रों तथा उसके चरणों का सम्बन्ध प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं। अधीक्षक डॉ.गुप्त ने बताया कि प्रत्येक नक्षत्र के तारा समूह, उसके आकार तथा उसकी वनस्पति को भी लगाया गया है।