नागदा, अग्निपथ। लोक अदालत का आयोजन शनिवार को न्यायालय परिसर में किया, जिसका शुभारंभ न्यायाधीश अपर सत्र न्यायाधीश सुनील दंडोतिया, जेएमएफसी संतोष तिवारी, हिमांशु पालीवाल, सुनीता ताराम, सौम्य गौर ने सरस्वतीजी एवं महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया।
लोक अदालत में कुल 167 प्रकरणों का निराकरण किया गया। जिसमें सभी विभागों की मिलाकर 49 लाख 74 हजार 372 रु. की वसूली की गई। इसमें न्यायाधीश सौम्या गौड़ पालीवाल की कोर्ट में 30 प्रकरणों के निराकरण पर 8 लाख 51 हजार 780 रु. की वसूली की गई। इसी तरह न्यायाधीश संतोष तिवारी की कोर्ट में 48 प्रकरण के निराकरण पर 10 लाख 52 हजार 200 रु. की वसूली हुई।
न्यायाधीश हिमांशु पालीवाल की कोर्ट में 26 प्रकरण निपटें। जिसमें 2 लाख 28 हजार की वसूली हुई। न्यायाधीश सुनीता ताराम की कोर्ट में 30 प्रकरणों का निराकरण किया गया। जिसमें 3 लाख 25 हजार 392 की वसूली की गई। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनील दंडोतिया की कोर्ट में 33 प्रकरणों का निराकरण किया गया। जिसमें 25 लाख 17 हजार की वसूली हुई।
हंसी-खुशी के साथ व्यतीत करने की कसम खाकर घर लौट गए
पति-पत्नी के विवाद के कुल तीन प्रकरणों में समझौते कराएं गए। समझौते के बाद पति-पत्नी ने दोबारा एक दूसरे के गले में मालाएं डाली और आगे का जीवन हंसी-खुशी के साथ व्यतीत करने की कसम खाकर घर लौट गए। नागदा के बीएसएनएल टावर के सामने निवासी अंजुम बी का विवाह 22 मई 2021 को रायपुरा कच्ची सडक़ कोटा (राजस्थान) निवासी साहिल पिता मो. रईस (23) के साथ हुआ था।
शादी के एक साल बाद ही 10 अप्रैल 2022 को अंजुम ने बेटे के रुप में असद को जन्म दिया था। पारिवारिक कलह के चलते अंजुम व साहिल में मनमुटाव होने लगा। हालात ऐसे हो गए अंजुम अपने बेटे असद को लेकर नागदा अपने मायके आ गई। बीते दो सालों से वह यहीं रहने लगी। अंजुम ने साहिल के विरुद्ध भरण-पोषण का केस लगाया। प्रकरण लोक अदालत में पहुंचा। समझाइश के बाद दोनों ने राजीखुशी जीवन बिताने का फैसला लिया। पैरवी अभिभाषक अब्दुल पठान, कृष्णा निषाद ने की।
दो साल बाद पति पत्नी में हुई सुलह
नागदा निवासी आरती का विवाह चिकली तहसील बडनगऱ निवासी हितेश के साथ 12 मई 2013 को हुआ था। दोनों के दो पुत्र भावेन व हर्ष हैं। हितेश राजकोट (गुजरात) में रहकर काम करता था। पत्नी आरती सहित दोनों पुत्र भावेन व हर्ष भी हितेश के साथ करीब 8 सालों से राजकोट में रहें। पति-पत्नी में मनमुटाव के चलते आरती अपने छोटे बेटे हर्ष को लेकर नागदा आ गई व दो साल से यहीं रहने लगी। जबकि बड़ा पुत्र भावेन पिता के साथ राजकोट रहता था।
इस दौरान आरती ने हितेश के विरुद्ध भरण-पोषण का केस लगा दिया। प्रकरण लोक अदालत में पहुंचा। प्रकरण में आरती की तरफ से पैरवी कर रही अभिभाषक कांता सरोज, हितेश की तरफ से पैरवी कर रहे अभिाषक केशव रघुवंशी व न्यायाधीश सुनीता ताराम ने पति-पत्नी को समझाया तो दोनों साथ रहने को राजी हो गए। दोनों ने एक दूसरे के गले में माला डाली और हंसी-खुशी घर के लिए रवाना हो गए।
समझाइश रचना और अनिल को असर कर गई
रुपेटा निवासी रचना का विवाह 2018 में रतलाम निवासी अनिल के साथ हुआ था। दोनों का एक बेटा व एक बेटी हैं। पारिवारिक विवाद के चलते शादी के एक साल बाद ही रचना पति अनिल से अलग होकर बीते दो सालों से अपने मायके रुपेटा में रह रही थी। रचना की तरफ से अनिल पर भरण पोषण का केस लगाया गया। लोक अदालत में अभिभाषक विजय वर्मा सहित न्यायाधीशगण ने पति-पत्नी को समझाइश दी। समझाइश रचना और अनिल को असर कर गई और दोनों ने साथ रहने का फैसला लिया।
चेक बाउंस में राजीनामे भी कराएं
चेक बाउंस के प्रकरणों में भी राजीनामे कराएं गए। फरियादी महेंद्र, आरोपी हमीद, फरियादी तेजमल, आरोपी राजसिंह परिहार व फरियादी उमेश मीणा व आरोपी बनवारी में चल रहे चेक बाउंस के केस में समझौता कराया गया। लोक अदालत मे नागदा संभाग के अंतर्गत लिटिगेशन मे रू. 8.59 लाख राशि के 191 प्रकरण निराकृत किये गये एवं लिटिगेशन के रू.6.87 लाख के 41 प्रकरण निराकृत किये गये। लोक अदालत मे प्रिलिटिगेशन प्रकरणो पर 30 प्रतिशत छूट एवं 16 प्रतिशत ब्याज की राशि मे 100 प्रतिशत छूट दी गई। वही लिटिगेशन प्रकरणो पर 20 प्रतिशत छूट एवं 16 प्रतिशत ब्याज की राशि मे 100 प्रतिशत छूट दी गई।