एक हजार वर्ष पुराने मंदिर का निर्माण पुरातत्व विभाग की देखरेख में राजस्थान के कारीगर करेंगे
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में करीब ढाई साल पहलेे खुदाई में मिले प्राचीन मंदिर के ढांचे को अब पुरातत्व विभाग प्राचीन शैली के शिव मंदिर में आकार देगा। मदिर के निर्माण का काम मंगलवार से शुरू हो गया है। विभाग की ओर से विशेषज्ञों की देखरेख में मंगलवार को मंदिर निर्माण के लिए आधार स्तंभ की सफाई और पुराने पत्थर के स्ट्रेक्चर को व्यवस्थित करने का काम शुरू हो गया है। मंदिर का निर्माण राजस्थान के कारीगर करेंगे।
पुरातत्व विभाग के मुताबिक करीब एक हजार वर्ष पुराने 37 फीट उंचे प्राचीन स्वरूप के शिव मंदिर निर्माण का कार्य वहीं से प्राप्त हुए पत्थरों से किया जाएगा। छह माह पहले मंदिर निर्माण की स्वीकृति विभाग से मिलने के बाद निर्माण की कवायद प्रारंभ हुई थी, लेकिन मंदिर में चल रहे निर्माण कार्य और त्योहारों को देखते हुए देरी हुई है। अब 30 जनवरी से फिर मंदिर से निकले पत्थरों को एकत्रित कर सफाई का कार्य प्रारंभ किया है। पुरातत्व विभाग की देख रेख में कार्य छह महिने में पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
मंदिर का निर्माण पत्थरों की उपलब्धता पर निर्भर करेगा। जो पार्टस कम रहेंगे, उन्हे बनाने में समय लगेगा। हमारा अनुमान है कि यहां 90 प्रतिशत पत्थर उपलब्ध है। ऐसे में छह महिने में कार्य पूर्ण हो जाएगा। निर्माण के दौरान प्रतिदिन विशेषज्ञ विभाग को रिपोर्ट भी करेंगे। प्राचीन मूल स्वरूप में मंदिर निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग ने प्रारंभिक रूप से अनुमानित करीब 65 लाख रुपए खर्च होने का आंकलन किया है।
प्राचीन मंदिर निर्माण कार्य पुरातत्व विभाग की आयुक्त उर्मिला शुक्ला के निर्देशन में कार्य होगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालु इस प्राचीन मंदिर से पौराणिक इतिहास जान सकेंगे। मंगलवार से यहां प्रारंभ हुए कार्य त्रिवेणी पुरातत्व संग्रहालय के संग्रहाध्यक्ष योगेश पाल की रेखरेख में शुरू हुआ है। मंदिर के लिए खोदाई होने व स्ट्रेक्चर तैयार करने के दौरान विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विशेषज्ञ भी आएंगे। पुरातत्व विभाग मंदिर निर्माण के बाद मंदिर समिति को सौंप देगा।
राजस्थान के कारीगर करेंगे निर्माण
पुरातत्व विभाग की देखरेख में महाकाल मंदिर के प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण ताराचंद निवासी भरतपुर राजस्थान करेंगे। ताराचंद ने बताया कि इसके पहले वे पुरातत्व विभाग की देखरेख में अनूपपुर के गजा मंदिर, पीएचक्यू भोपाल, उदयपुर, देवबड़ला सिहोर में शिव मंदिर, औंकारेश्वर में शिव मंदिर, आशापुरी जिला रायसेन में सूर्य मंदिर में प्राचीन पत्थरों से विभाग की देखरेख में कार्य कर चुके है। अब महाकाल मंदिर परिसर में प्राचीन मंदिर का निर्माण कार्य करेंगे।
पुरातत्व विभाग की निगरानी में हुई थी खुदाई
श्री महाकालेश्वर मंदिर में विस्तारीकरण कार्य के लिए मंदिर परिसर के मुख्य द्वार पर सामने के भाग में जून 2021 में खुदाई का काम शुरू किया था। नए निर्माण कार्य के लिए करीब 25 से 30 फीट की खुदाई के दौरान मिट्टी में दबे प्राचीन मंदिर के पुरा अवशेष प्राप्त हुए थे। जानकारी मिलने के बाद मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग के आयुक्त शिवशेखर शुक्ला ने पुराविद् डा. रमेश यादव के नेतृत्व में चार सदस्यीय दल गठित कर पुरासंपदा का निरीक्षण कर विभाग को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस पर आयुक्त ने महाकाल मंदिर के गौरवशाली इतिहास को संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग की निगरानी में खुदाई कराने का निर्णय लिया था। वहीं शोध अधिकारी डा. धु्रवेंद्रसिंह जोधा को पुरातात्विक विधि से खुदाई कराने की जिम्मेदारी दी गई थी।
खुदाई में मिली थी ये पुरासंपदा
पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ की देखरेख में खुदाई के दौरान मंदिर का आधार भाग, प्राचीन शिव लिंग, नंदी, गणेश, मां चामुंडा, शार्दुल की मूर्तियां प्राप्त हुई थी। इसके अलावा भारवाही कीचक तथा दो हजार साल पुराने शुंग, कुषाण, मौर्य व परमार काल में निर्मित मिट्टी के बर्तन भी मिले थे। विशेषज्ञों की देखरेख में इस स्थान से मिले स्तंभ, कुंभ भाग, आमलक आदि के अवशेषों का वर्गीकरण के बाद विभाग ने इन पुरा अवशेषों पर नंबरिंग भी है। जिससे निर्माण के दौरान जो भाग जहां का है वहीं स्थापित किया जा सके। पुरातत्व विभाग आधार भाग से शिखर तक के हिस्सों को जोडक़र प्राचीन स्वरूप में ही मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ करेगा।