धार, (आशीष यादव) अग्निपथ। जहां चार महीने अपनी खेती को लालन-पालन करने के बाद पकाने के साथ घर में काटने की बारी आती है तो खेतों में नुकसान का आकलन उसे वक्त पता चलता है जिस वक्त नीलगाय खेतों में अपना डेरा जमा कर नुकसान कर जा चुकी होती है। वहीं इस वक्त फसल पककर तैयार है उसके बाद भी नीलगाय के आतंक से किसान परेशान होता नजर आ रहा है पक्की फसल में झुंड आकर फसलों को पैरों तले रौंदता नजर आता है। फसलों को आड़ी पटक देता है। जिससे पकी हुई फसल को नुकसान किसानों से देखा नही जा रहा वही एक और सरकार किसानों की खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात करती है।
विधानसभा व लोकसभा में बजट के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने के वादे करते हुए नजर आते है मगर जमीनी स्तर पर किसान कितना परेशान है यह आकर आज तक किसी सरकार के नुमाइंदे ने नहीं देखा है इस वक्त किसानों की सबसे बड़ी परेशानी नीलगाय बनी है जो खेतों में खड़ी फसलों को अपने पैरों तले रौंदते हुए दिखाई दे रही है। इन दिनों इलाके के किसानों को नीलगाय के आतंक से जूझना पड़ रहा है। झूंडों में आकर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुचा रही हैं।
आज तक किसको मिला मुआवजा?
नीलगाय जंगली जीव है, इसलिए इन्हें छूने एवं मारने पर वन्य प्राणी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है, जिसके कारण नीलगाय को ग्रामीण मारने से बेहद डरते है। क्योकि वही इसको को मारने को लेकर अभी तक विभाग की तरफ से कोई आदेश लागू नहीं हुआ है वही आए दिन किसान नीलगाय से बहुत परेशान होते जा रहे हैं किसान फसल बर्बाद होने की स्थिति में मुआवजे का प्रवधान है।
किसान संबंधित अंचलाधिकारी के पास आवेदन देकर मुआवजे की मांग कर सकते है। मगर आज तक किसी किसान को नीलगाय ने फसल बर्बाद की उसका मुवावजा तक नही मिला वही अनारद के किसान रतनलाल यादव बताते है कि पिछली बार मेरी लहसन को नीलगायो ने नुकसान पहुंचा दिया जिसका मैंने आवेदन एसडीएम वन विभाग को दिया व 181 पर शिकायत की उसके बाद आज तक मुझे आज दिनांक तक इसका मुआवजा नहीं मिला। व मेरी शिकायत भी बंद कर दी गई।
हादसों के साथ गांवों की ओर पलायन
नीलगाय की वजह से हादसे भी हो रहे है। किसान बताते हैं कि पहले तो खेतों तक नीलगाय सीमित थी मगर आज सडक़ों के आसपास आने जाने वाले राहगीरों को भी दुर्घटना ग्रस्त करती हुई दिख रही है। आए दिन नीलगाय से गिरने के मामले सामने आ रहे हैं। इसी प्रकार नीलगाय गाँव में भी घुसने से नही डरती है। गांवों में भी कई बार आतंक मचा चुकी है। नीलगायों की वजह आजकल अकेले खेतों में जाना भी किसानों ने बंद कर दिया। वहीं लकड़ी डंडे लेकर अब खेतों की ओर किसान जाने लगे हैं। नीलगाय अकेला व्यक्ति देख हमला करने से भी नहीं चूक रही है।
विभाग के आंकड़े में 3 हजार नीलगाय
बताता दें कि वन विभाग से मिले आंकड़े में जिले में नीलगाय की संख्या 3 हजार से अधिक है। मगर जिले में कितनी है नीलगाय है इनका सही आंकड़ा आज तक कोई पता नहीं कर पाया है। क्योंकि यह एक जगह नहीं रहती है तो इनकी गिनती नहीं की जा सकती है। नीलगाय वन्यप्राणी है मगर इसकी विभाग द्वारा गणना में आंकड़ा कम है। जिला मुख्यालय के आसपास गाँवों के बाद सरदारपुर व बदनावर में बड़ी संख्या में इनका प्रवास है। यह खेतों में एक दो नहीं आती है। झुंडों में खेतों में अलग-अलग समूह में नजर आती हैं और नुकसान करती हैं।
सरकार भी नहीं उठा रही कोई ठोस कदम
जहा किसानों को लेकर देश में हर रोज कहीं ना कहीं बयान बाजी होती है मगर किसानों के लिए आज घोड़ारोज इतनी बड़ी परेशानी बन गई है इसके लिए किसान हर रोज नुकसान झेल रहा है इसको लेकर जनप्रतिनिधि राज्यसभा, लोकसभा विधानसभा में इसको लेकर कोई कठोर नियम आज तक नहीं बनाया सके है। अगर समय रहते इनका कुछ हल नहीं निकाला गया तो किसानों का खेती करना दुश्वार हो जाएगा।
वहीं किसानों के पास आज खेती के अलावा अन्य कोई आय का स्राोत नहीं है और यह नीलगाय किसानों के लिए मुसीबत बन कर इनमें सामने आकर खड़ी है।
गर्मी भी नुकसान कर रही है
पहले तो हम किसान सोयाबीन व गेंहू लहुसन की फसलों में ही घोडारोज से परेशान हो रहे थे। मगर अब गर्मी की फसलों में भी नुकसान कर रही है। अभी हमने गर्मी के प्याज खरबूज तरबूज व अन्य फैसले लगाइए जिसमें घोडारोज नुकसान कर कर जा रहा है।क्या करे कुछ समझ नही आ रहा प्रशासन भी इसे पकडऩे के लिए कुछ नही कर रहे है। वही वन विभाग नेफेक्स पीथमपुर से नीलगाय पकड़ रहे तो खेतो से भी पकडक़र अन्य जगह छोडऩा चाहिए। -आत्माराम चौधरी किसान सकतली
राजस्व विभाग देता है नुकसानी
नीलगाय से किसानों के खेतों में हुए नुकसान को लेकर राजस्व इसकी क्षतिपूर्ति करता है। अगर किसान आवेदन करता है तो उसे मुआवजा दिया जाएगा। वहीं शासन स्तर पर अभी इनको पकडऩे को लेकर कोई आदेश नहीं मिला है अगर को आदेश आता है तो कार्य करेंगे। –नरेंद्र सनोडिया सीसीएफ इंदौर
जल्दी योजना बनाई जाएगी
घोडारोज से किसानों को नुकसान हो रहा है। इसके लिए लोकसभा चुनाव बाद इसको लेकर सरकार द्वारा जल्द योजना बनाकर इनकी नसबंदी की जाएगी। इनको पकड़ नहीं सकते क्योंकि जिले में अभ्यारण नहीं है। मगर इनकी नसबंदी की योजना लोकसभा चुनाव के बाद बनाई जाएगी। – नागरसिंह चौहान, वनमंत्री मध्यप्रदेश शासन