पूजन के बाद मोक्षदायिनी शिप्रा की परिक्रमा शुरू

शिप्रा तीर्थ परिक्रमा केवल यात्रा नहीं पुरातात्विक, आध्यात्मिक स्थलों के महत्व को बढ़ाने, सहेजने, संवारने का माध्यम बनेगी -मुख्यमंत्री डॉ यादव

उज्जैन, अग्निपथ। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि मां शिप्रा तीर्थ परिक्रमा केवल यात्रा नहीं यह शिप्रा तट पर स्थित पुरातात्विक, आध्यात्मिक स्थलों के महत्व को बढ़ाने, सहेजने, संवारने का माध्यम बनेगी। मुख्यमंत्री डॉ यादव आज उज्जैन के पावन रामघाट पर मां शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

महाकाल की नगरी उज्जयिनी में पुण्य पावन सलिला मोक्षदायिनी शिप्रा के तट पर स्थित रामघाट पर शनिवार को धर्म, आस्था और विश्वास का अद्भुत नजारा देखने को मिला। अवसर था मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के शुभारंभ का। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने रामघाट पर शिप्रा की पूजा-अर्चना अभिषेक व आरती की और ध्वज का पूजन किया। उन्होंने मध्य प्रदेश की नदियों, जल संरचनाओं के संरक्षण, संवर्धन एवं पुनरुद्धार को समर्पित जलाभिषेक अभियान का उपस्थित जनों और प्रदेशवासियों को संकल्प दिलाकर शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का शुभारंभ किया और जनप्रतिनिधियों एवं हजारों श्रद्धालुओं के साथ शिप्रा तीर्थ परिक्रमा में शामिल हुए।

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने सन्तजनों की उपस्थिति में रामघाट पर शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का ध्वज लहराकर परिक्रमा का शुभारंभ किया और संतों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ पैदल चलकर शिप्रा तीर्थ परिक्रमा में भाग लिया। शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के दौरान हजारों तीर्थ यात्रियों के हाथों में परिक्रमा के ध्वज लहरा रहे थे। परिक्रमा करने वाले यात्रियों में अपार उत्साह देखने को मिल रहा था। शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के दौरान उज्जैन में परिक्रमा मार्ग पर धर्म, आस्था और विश्वास का अद्भुत दृश्य देखने को मिला तथा परिक्रमा मार्ग पर विभिन्न धार्मिक संगठनों, सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवी संगठनों ने पुष्पवर्षा कर शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का स्वागत किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत पूरे प्रदेश में जल एवं पर्यावरण संरक्षण, नदी पुनरूद्धार एवं पौधारोपण के कार्य किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में जन्म होना भाग्य है और उज्जैन व उसके आसपास जन्म लेना सौभाग्य की बात है। पुण्य सलीला शिप्रा में 11 नदियां समाहित है। इसके किनारे पर 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है। सभी तीर्थों में अवंतिका तीर्थ बड़ा माना जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिप्रा तीर्थ परिक्रमा केवल यात्रा नहीं यह शिप्रा के तट पर स्थित पुरातात्विक, आध्यात्मिक स्थलों के महत्व को बढ़ाने, सहेजने, संवारने का माध्यम भी बनेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैदिक घड़ी के माध्यम से उज्जैन का स्टेण्डर्ड समय देश-दुनिया के समय के रूप में पुनर्स्थापित होगा। मुख्यमंत्री ने सभी परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए परिक्रमा की सफलता के लिये बधाई दी।

ये प्रमुखजन थे मौजूद

प्रारम्भ में शिप्रा तट पर पूजा-अर्चना के पश्चात मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने मंचासीन सन्तगण बालयोगी उमेशनाथ महाराज (राज्यसभा सदस्य), सन्त भगवानदास महाराज, कुशलदास महाराज, महन्त हरिदास महाराज एवं अनिल गुरु महाराज का स्वागत किया।

शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के शुभारंभ अवसर पर सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालूहेडा, विधायक सतीश मालवीय, नगर निगम सभापति कलावती यादव, महापौर मुकेश टटवाल एवं पूर्व विधायकगण, विक्रमादित्य शोधपीठ के श्रीराम तिवारी, शिप्रा लोक संस्कृति के नरेश शर्मा, एसीएस डॉ.राजेश राजौरा, डीजीपी सुधीर सक्सेना, संभागायुक्त उज्जैन संजय गुप्ता, पुलिस महानिरीक्षक संतोष कुमार सिंह, डीआईजी नवनीत भसीन, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा सहित जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, सन्तगण एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

शिप्रा तीर्थ परिक्रमा का समापन आज

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव द्वारा शनिवार 15 जून को शिप्रा तीर्थ परिक्रमा यात्रा का शुभारम्भ किया गया। शनिवार को शिप्रा तीर्थ परिक्रमा यात्रा रामघाट से प्रारंभ होकर नृसिहघाट, आनन्देश्वर मंदिर, जगदीश मंदिर, गउघाट, जंतर-मंतर, वरूणेश्वर महादेव मंदिर (शीतल गेस्ट हाउस) से इन्दौर रोड सीएचएल अस्पताल, प्रशांतधाम मंदिर, गुरूकुल (त्रिवेणी) नवग्रह शनि मंदिर पहुंची तथा यहां दोपहर का भोजन व विश्राम हुआ।

इसके पश्चात यात्रा गोठडा, सिंकदरी, दाउदखेडी, चांदमुख, चिंतामण, मंगरौला फंटा, लालपुल, भूखी माता मंदिर से गुरूनानक घाट होते हुए दत्त अखाडा पहुंची। यहां पर रात्रि विश्राम हुआ। इस दौरान यहां सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन भी हुए। आज 16 जून को सुबह घाट पर स्नान के पश्चात यात्रा रंजीत हनुमान, कालभैरव, सिद्धनाथ, अंगारेश्वर, कमेड, मंगलनाथ, सांदीपनी आश्रम, राम मंदिर, गढकालिका, भृर्तृहरि गुफा, ऋणमुक्तेश्वर, वाल्मीकिधाम चक्रतीर्थ, दानीगेट, ढाबारोड़, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, महाकाल मंदिर, बड़ा गणेश मंदिर, हरसिद्धि से वापस रामघाट पहुंचेगी। यहां यात्रा का समापन गंगा दशहरा के अवसर पर रामघाट पर आयोजित कार्यक्रम के साथ होगा।

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