नई व्यवस्था, अनुमति धारकों को पहचान के लिये आरएफआईडी बैंड जरूरी
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकाल मंदिर में रोजाना सुबह होने वाली भस्म आरती में प्रवेश अब हाईटेक तरीके से होगा। भस्म आरती में शामिल होने वाले भक्तों को कलाई पर आरएफआईडी बैंड पहनना अनिवार्य होगा।
महाकाल मंदिर समिति ने शुक्रवार से इस हाईटेक सुविधा की शुरुआत कर दी है। इससे महाकाल मंदिर में भस्म आरती के दौरान अनधिकृत प्रवेश पर रोक लगने के साथ ही ये भी पता चल सकेगा कि असल में कितने भक्तों को अनुमति दी गई है और कितने भक्तों ने प्रवेश किया है। महाकाल मंदिर के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ के अनुसार महाकाल मंदिर की भस्म आरती में आने वाले वाले श्रद्धालु को अब आधुनिक तरीके से मंदिर में प्रवेश मिलेगा।
ये ठीक वैसा ही होगा जैसे किसी बड़े कनसर्ट, पब और बड़े स्टेज शो में होता है, जहां एंट्री के समय कलाई पर आरएफआईडी बैंड बांधा जाता है। शुक्रवार सुबह भस्म आरती के दौरान कलेक्टर नीरज सिंह ने इसकी शुरुआत कि। सुबह आने वाले सभी भक्तों की कलाई पर आरएफआईडीबैंड बांधने के बाद ही प्रवेश दिया गया।
महाकाल मंदिर के सभी भस्म आरती काउंटर से इसकी शुरुआत कर दी गई। मंदिर में प्रवेश लेने के बाद आरएफआईडीबैंड चेक होगा। बैंड की चेकिंग से फर्जी और अनधिकृत प्रवेश पर रोक लग सकेगी। सभी भक्तों को भस्म आरती के दौरान इसे पहनना अनिवार्य होगा।
महाकाल महालोक, मानसरोवर भवन से जनरल व अवंतिका द्वार (द्वार क्रमांक 01) पर श्रद्धालुओं द्वारा मोबाइल नंबर बताने के बाद रिस्ट बैंड पर क्यूआर कोड प्रिंट कर तत्काल श्रद्धालुओं को दिया जाएगा।
मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि, आज से भस्मार्ती में सम्मिलित होने वाले भक्तो को आर.एफ.आई.डी. रिस्ट बैंड के माध्यम से प्रवेश देना प्रारंभ किया गया है। जिसमे श्री महाकाल महालोक मानसरोवर भवन से जनरल व अवंतिका द्वार प्रोटोकॉल धारी श्रद्धालु द्वारा मोबाइल नंबर बताने के बाद रिस्ट बैंड पर क्यू. आर.कोड प्रिंट किया जाकर तत्काल श्रद्धालुओं को दिया जाएगा। जिससे भस्मार्ती में अनाधिकृत प्रवेश करने वालो पर रोक लगाई जा सकेगी। सभी के लिये रिस्टबैंड को अनिवार्य रहेगा।
ये फायदा मिलेगा
आधुनिक तरीके से भक्तों की एंट्री शुरू करने से श्रद्धालुओं को लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। आरएफआईडी रिस्ट बैंड के उपयोग से श्रद्धालुओं जांच जल्द पूरी होगी। इससे भक्तों को ज्यादा देर तक खड़ा नहीं रहना होगा। बार-बार स्कैनर या अनुमति दिखाने के झंझट से मुक्ति मिलेगी। एक घंटे में 1000 श्रद्धालुओं की स्कैनिंग हो सकेगी।