कायमी के बाद भी औद्योगिक पुलिस न्यायालय में नहीं भेज रही प्रकरण, एसपी से की शिकायत

कम्पनी की लापरवाही से वर्ष 2022 में जला था श्रमिक का पैर, प्रबंधन ने विश्वास में लेकर दिया धोखा

देवास, अग्निपथ। कम्पनी प्रबंधन के ठेकेदार पर कायमी उपरांत भी औद्योगिक पुलिस द्वारा प्रकरण न्यायालय को नहीं भेजने के संबंध में प्रेमनगर पार्ट-2 निवासी अरूण सोनी ने एसपी कार्यालय में पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर शिकायत की।

आवेदक सोनी ने बताया कि वो इफका लिवर्टी कम्पनी औधोगिक क्षेत्र में श्रमिक के पद पर कार्यरत था, लेकिन कंपनी की लापरवाही के चलते 24.02.2022 को उसका पेर जल गया। तभी से बेरोजगार होकर दर-दर की ठोकरे खा रहा है। कंपनी के विरूद्ध पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं की जा रही थी। कई आवेदन देने के बाद पुलिस थाना बावडिया ने कम्पनी के बजाय ठेकेदार के व्यक्ति राजकुमार व वंदनसिंह के खिलाफ दिनांक 26.06.2023 को रिपोर्ट दर्ज की।

दिनांक 05.08.2024 अपराध धारा 420, 467, 468, 471, 34 भादवि के तरह पंजीकृत दर्ज किया गया है। लेकिन दोनो प्रकरण में से एक प्रकरण अब तक न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है। आवेदक सोनी ने बताया कि वह वर्तमान में किराए के मकान में रहकर जैसे तैसे अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है।

आवेदक अरूण सोनी ने बताया कि 24 फरवरी 2022 को शाम 4.30 बजे कम्पनी में कार्य करने के दौरान बायलर की गर्म राख से उनका पैर बुरी तरह से झुलस गया। कम्पनी में सुप्रीमा अलायस सर्विस प्रा.लि. मुंबई का ठेका चलता था, जिसके अंडर में वह कार्य करते थे। घटना के बाद कम्पनी ठेकेदार के सुपरवाइजर ने विश्वास में लेकर कहा कि यदि पूछताछ हो तो यह बताया कि तुम्हारा पैर घर पर जला है। कम्पनी तुम्हारा पूरा खर्चा उठाएगी और कम्पनी तुम्हें उपचार के बाद स्थाई रूप से कार्य पर रख लेंगे।

सुपरवाजय की बातो में आकर अरूण सोनी ने देवास के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर को इलाज के दौरान बताया कि मेरा पेर घर पर जला है। जिला अस्पताल में एक सप्ताह इलाज के बाद पैर का पूरा इलाज स्वयं के खर्चे से अरूण सोनी ने संस्कार अस्पताल में करीबन पांच माह तक कराया। चालू इलाज के दौरान कम्पनी के साइड इंचार्ज राजकुमार सिंह ने श्रमिक अरूण सोनी को आर्थिक सहायता करने से इंकार दिया।

साथ ही कम्पनी में काम पर आने से भी बंद कर दिया। जिससे श्रमिक सोनी बेरोजगार हो गए। अब घर चलाने का कोई साधन भी नही है। जिसकी शिकायत श्रमिक सोनी ने कई बार पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर से की। जहां कलेक्टर ने कम्पनी के खिलाफ केस दायर करते हुए मामले की जाँच श्रम विभाग से कराई। कम्पनी ने जाँच के दौरान श्रमिक सोनी को झूठा साबित करने की नियत से 26 हजार रूपए इलाज के दौरान दिए जाने के जाली बाउचर दर्शाए।

मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने पुलिस अधीक्षक को कंपनी व ठेकेदार के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने संबंधि आदेश देने हेतु पत्र भी लिखा। लेकिन किसी भी प्रकार की कार्यवाही आज दिनांक तक कम्पनी व ठेकेदार पर नहीं की गई। जबकि उक्त मामले में कम्पनी की लापरवाही साफ नजर आ रही है। उक्त प्रकरण श्रम न्यायालय देवास में विचाराधीन है। पीडित श्रमिक ने मांग की है कि शीघ्र ही न्यायालय में कम्पनी के विरूद्ध चालान पेश किया जाए, जिससे दोषियों पर कार्यवाही हो सके।

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