सीएम के गृह नगर में धीमी गति के अफसर: 23 करोड़ से बनने वाला बडऩगर रोड ब्रिज का निर्माण 8 साल बाद भी पूरा नहीं

अब 486.79 करोड़ में बनेगा

उज्जैन, अग्निपथ। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में उज्जैन-बडनग़र रोड़ मोहनपुरा रेलवे क्रॉसिंग पर बन रहे एलसी-23 ब्रिज का निर्माण साल 2016 में बनना शुरू हुआ था। निर्माण शुरू होकर आधा बनने के बाद से यह ब्रिज अधूरा पड़ा है। उस वक्त 23 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला यह ब्रिज अब 486 करोड़ रुपए में बनकर तैयार होगा। इस ब्रिज का निर्माण टेंडर की शर्तों के मुताबिक साल 2018-19 में पूरा हो जाना था।

सेतु निगम ने गुजरात की अजय प्रो-टेक कंपनी को वर्ष 2016 में ब्रिज निर्माण का ठेका दिया था। कंपनी को दो साल में निर्माण कार्य पूरा करके देना था। ठेका कंपनी तय अवधि में निर्माण पूरा नहीं कर पाई। उसने साल 2022 तक चार साल में पांच बार अवधि बढ़वाई। उसके बाद भी ब्रिज नहीं बना और कंपनी ब्रिज का अधूरा निर्माण छोडकऱ चली गई। सेतु निगम ने ठेका कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है लेकिन ब्रिज का बाकी कार्य भी इसी कंपनी से लिया गया जो कि 3-4 माह में पूरा करना था ठेका कंपनी ने यह काम भी नहीं किया और चली गई।

सूत्रों के मुताबिक सेतु निगम के अधिकारी ठेकेदार को रोक नहीं पाए और समय पर उसके बिल पास नहीं किए गए इसी वजह से कंपनी काम छोडकऱ चली गई थी। सीएम डॉक्टर मोहन यादव सिंहस्थ के दृष्टिगत उज्जैन में विकास और निर्माण कार्यों को लेकर काफी संवेदनशील है लेकिन उन्हीं के गृह नगर में अधिकारियों की धीमी गति से ब्रिज निर्माण में देरी हुई है।

आगामी सिंहस्थ-2028 में यह ब्रिज साधु-संतों व श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए बहुत उपयोगी होगा। सेतु निगम के अब दावा कर रहे हैं कि ब्रिज निर्माण के लिए काम शुरू हो गया है हालांकि रविवार को जब अग्रिपथ की टीम ब्रिज निर्माण की गति देखने के लिए पहुंची तो यहां कोई भी मशीनरी अथवा मजदूर काम करते हुए नजर नहीं आए।

इस पर सेतु निगम के कार्यपालन यंत्री पीएस पंत ने कहा कि रविवार छुट्टी का दिन होने से काम बंद था। सेतु निगम के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि मई में ब्रिज का कार्य पूरा हो जाएगा।

सिंहस्थ 2016 में इस ब्रिज की स्वीकृति हुई थी। साल 2019 में यह बनकर तैयार हो जाना था। बीते छह सालों में पांच बार ब्रिज की प्लानिंग बदली गई। दो साल पहले तय हुआ था कि इसे पुराने ब्रिज के समानांतर टू लेन बनया जाएगा। 23 करोड़ से बनने वाला यह ब्रिज अब 486 करोड़ में बनेगा यानी 463 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च होंगे। इस तरह अधिकारियों की कारगुजारियों, लापरवाहियों और धीमी गति के कारण मध्यप्रदेश सरकार को यह अधिक राशि भुगतना पड़ेगी।

एक ने अधूरा छोड़ा, दूसरे ने काम शुरू नहीं किया

सेतु निगम ने साल 2016 में अजय इन्फोटेक प्रालि गुजरात को 23 करोड़ रुपए में ब्रिज निर्माण का काम सौंपा था। यह कंपनी ब्रिज का अधूरा निर्माण छोडकऱ चली गइ्र।अजय इन्फोटेक के खिलाफ कार्रवाई के बाद सेतु निगम ने दूसरी ठेका कंपनी को काम दिया जिसने दो साल तक काम शुरू नहीं किया। अब केंद्रीय सडक़ निधि योजना के अंतर्गत ब्रिज का निर्माण किया जाएगा।ब्रिज के अधूरे निर्माण के लिए अब करीब 486.79 करोड़ रुपए का नया टेंडर जारी किया गया है। अधिकारियों का दावा है कि काम शुरू हो गया है।

इस कारण हुई देरी

  • ब्रिज में आरआई वॉल का प्रावधान किया तो ठेका कंपनी ने काम करना इंकार कर दिया
  • ब्रिज की एप्रोच को लेकर भी सहमति नहीं बनने से काम प्रभावित हुआ
  • कोरोना काल के चलते ठेका कंपनी ने काम करना बंद कर दिया।
  • सेतु निगम बार-बार ठेका कंपनी को मौका देता रहा और समयावधि बढ़ती गई।

इनका कहना

बडऩगर रोड़ पर रेलवे क्रॉसिंग के यहा बनने वाले ब्रिज का काम शुरू हो गया है। 26 जनवरी को रविवार होने की वजह से काम बंद था। शीघ्र ही ब्रिज निर्माण पूरा होगा।
-पीएस पंत,ईई सेतु निगम

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