अर्जुन सिंह चंदेल
गतांक से आगे
भूटान यात्रा की व्यवस्था तो हो गयी पर एक समस्या फिर खड़ी हो गयी, हमारी हवाई जहाज की वापसी टिकट के हिसाब से हमारे पास 11 रात और 12 दिन थे, भूटान यात्रा 7 दिन 6 रात की थी हमारे पास 5 रातें बच रही थी उनको कहाँ बिताया जाय? यह प्रश्न खड़ा था। विचार-विमर्श के बाद तय किया गया कि चूँकि 5 जनवरी की रात हिंदुस्तान की सीमा पर जयगाँव में ही रुकना था अंत: भूटान में 6 जनवरी को प्रवेश करेंगे और 12 जनवरी को भारत वापसी के बाद तय करेंगे कि बाकी 4 दिन कहाँ बिताने हैं।
तैयारी चालू हो गयी बाफना से तरह-तरह के 6-7 किलो नमकीन 250-250 ग्राम की पेकिंग में पैक करवा लिये गये, गर्म कपड़े रख लिये, पता करा तो बताया गया कि भूटान में रात का तापमान माइनस में चला जाता है। साथियों ने नये कपड़े भी खरीदे। धीरे-धीरे दिन नजदीक आते-आते 4 जनवरी आ ही गयी। 5 जनवरी को इंदौर से सुबह 7:45 पर इंडिगो की फ्लाइट थी जो हमें हैदराबाद और वहाँ से बाडडोगरा की कनेक्टिंग फ्लाइट से गंतव्य तक पहुँचाने वाली थी।
भोपाल के दो साथी 4 जनवरी की रात को ही इंदौर पहुँच गये थे, उज्जैन के 4 लोग सुबह 4:30 पर इंदौर के लिये रवाना हो गये। एयरपोर्ट की औपचारिकताएं निभाने में समय लग गया। एक यात्री द्वारा ले जाये जा रहे अचारों में से सुरक्षा अधिकारियों द्वारा मिर्ची का अचार रोक दिया गया बाकी को साथ ले जाने की अनुमति दे दी। पानी की बोतल 500 मिलीमीटर तक की ही साथ ले जा सकते हैं 1 लीटर की नहीं, खाली बोटल साथ ले जाकर आप अंदर एयरपोर्ट पर पानी भर सकते हैं।
सुरक्षा जाँच में हमारे एक साथी भी रोक लिये गये पता चला उनके हैंड बेग में दाढ़ी बनाने का रेजर और छोटी कैची थी जिसे जब्त करने के बाद ही उन्हें विमान में सवार होने की अनुमति दी गयी। ठीक समय पर हवाई जहाज उड़ चला लगभग डेढ़ घंटे बाद हम सभी 6 साथी हैदराबाद पहुँच गये अब हमें 1 घंटे बाद बागडोगरा के लिये उड़ान भरनी थी। हैदराबाद एयरपोर्ट पर एक बार फिर सुरक्षा जाँच से गुजरना था।
औपचारिकता पूरी हुयी सभी ने राहत की साँस ली। टिकट पर अंकित झोन नं. व गेट नंबर पर पहुँचकर आराम से सीटों पर पसर गये। सुबह के लगभग 10 बज गये थे शरीर नाश्ते का अलार्म दे रहा था। अनुज घर से पराठे बनवाकर लाये थे सभी ने उनका आनंद लिया। पेटपूजा शानदार हुयी हमने लेदर की जैकेट पहन रखी थी उसमें कई जेबे हैं हैदराबाद से बागडोगरा का बोर्डिंग पास उन्हें में से किसी एक में जाकर दुबक गया था। ढूँढा, मिला नहीं दिमाग में तनाव की रेखायें आ गयी, हालाँकि मोबाइल पर टिकट था दूसरा बोर्डिंग पास बनवाना बहुत आसान था। फिर भी हम इंडिगो के काउंटर पर पहुँच गये थे।
डुप्लीकेट बोर्डिंग पास बनवाने की प्रक्रिय शुरु ही हो रही थी कि जैकेट की एक जेब में हाथ डालने पर श्रीमान बोर्डिंग पास जी पकड़ में आ गये चैन की साँस ली। बैठकर गपशप कर ही रहे थे कि बागडोगरा फ्लाइट के गेट बदलने की उद्घोषणा हो गयी। बदले हुए गेट पर पहुँचकर एयरक्राफ्ट में हम सभी निर्धारित सीटों पर बैठ गये। सभी साथियों की सीटेें अलग-अलग थी। लगभग 12.40 बजे एयरक्राफ्ट ने पश्चिम बंगाल के महत्वपूर्ण बागडोगरा एयरपोर्ट पर सफल लैंडिंग की। वहाँ इनोवा गाड़ी लेकर हमारा इंतजार कर रहा व्यक्ति लगातार हमारे संपर्क में था। सुरक्षा जाँच और कन्वेयर बेल्ट से अपना सामान उठाकर जैसे ही हम बाहर निकले हमारे नाम की तख्ती लेकर बाहर एक युवक खड़ा था।
हमने सोचा यही ड्रायवर होगा तभी उसके साथ आये एक और युवक ने भी सामान उठाने में मदद की। हम दूर खड़ी इनोवा तक पहुँचे तो देखा ड्रायवर गाड़ी पर ही था। हमारे मन में प्रश्न आया कि फिर हम सबका सामान लेकर आने वाले यह दोनों कौन है? गाड़ी के केरियर पर सामान को अच्छे से बाँध दिया गया। सभी 6 लोग गाड़ी में बैठ गये तब हमारे नाम की तख्ती लेकर एयरपोर्ट के बाहर खड़े होने वाले आदमी ने हमसे मेहनताने की माँग की हमने ड्रायवर की ओर देखा ओर पूछा हमने तो इन्हें नहीं बुलाया तब उसने बताया यहाँ का यही सिस्टम है। खैर उनका शुक्राना अदा करके हम निकल पड़े भूटान सीमा पर स्थित जयगाँव की ओर।
शेष कल