उज्जैन, अग्निपथ। माघ पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को मोक्ष दायिनी शिप्रा नदी में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। हालांकि प्रयागराज महाकुंभ के चलते पूर्णिमा का पर्व स्नान भी महत्वपूर्ण होता है। जिसके कारण शिप्रा तट पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा नही रही। जो कुछ श्रद्धालुओं पहुंचे थे, उन्होंने पहले स्नान किया। इसके बाद दान-पुण्य कर मंदिरों में दर्शन कर रवाना हो गए।
इसी दिन शहर में कई स्थानों पर होलिका दहन के लिए पूजा-अर्चना कर डांडा रोपा गया। आज से ठीक एक महीने बाद होलिका दहन किया जाएगा।
धार्मिक नगरी उज्जयिनी में मोक्ष दायिनी शिप्रा और देव मंदिर की उपस्थिति के कारण पर्व त्योहार के दौरान स्नान, दान-पुण्य का महत्व रहता है। बुधवार को माघ मास की पूर्णिमा होने से शिप्रा नदी के रामघाट पर स्नान करने का महत्व होता है। श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान के बाद दान-पुण्य कर मंदिरों में भगवान के दर्शन लाभ लेते है।
हालांकि इस बार श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। ग्रामीण क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं ने ही नदी में डुबकी लगाकर देव दर्शन किए। वहीं पूर्णिमा का अवकाश होने से सुबह से ही श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ रही।
पूर्णिमा पर रोपा होली का डांडा: माघ पूर्णिमा को डांडा रोपणी पूर्णिमा भी कहा जाता है। परंपरा अनुसार होली से एक माह पूर्व होली का डांडा रोपने का महत्व है। इसी के तहत बुधवार को शहर के कई चौराहों और मोहल्लों में होली का डांडा रोपा गया। डांडा रोपने के बाद अब 14 मार्च को होलिका दहन उत्सव मनाया जाएगा।
गौरतलब है कि परंपरा वाले स्थान पर डांडा रोपणी पूर्णिमा के बाद मांगलिक कार्य नही करते है। निमाड़ की ओर यह परंपरा आज भी मान्य है। हालांकि पंचांग की गणना के अनुसार मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि कार्यों के लिए डांडा रोपणी पूर्णिमा से कोई विशेष दोष नही लगता है।