शाजापुर, अग्निपथ। शाजापुर जिले में औसत वर्षा 990.10 मि.मी. के स्थान पर 897.70 मि.मी. वर्षा होने के उपरांत भी लगातार जिले का जल स्तर नीचे जा रहा है, जिससे जिले में गंभीर पेयजल संकट उत्पन्न होने की संभावना है। इसे देखते हुए कलेक्टर ऋजु बाफना ने म.प्र. पेयजल परिक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम 2002 की धारा 3 के अंतर्गत शाजापुर जिले को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है।
कलेक्टर ने धारा 4(1) के अंतर्गत जिले के समस्त जल स्त्रोतों यथा बांध, नदी, नहर, जलधारा, झरना, झील, स्त्रोत, जलाशय, नाला, बंधान, नलकूप, या कुआँ से किसी भी साधन से घरेलू प्रयोजन व निस्तार को छोडक़र सिंचाई या औद्योगिक, व्यावसायिक अथवा किसी अन्य प्रयोजन के लिये (पूर्व से अनुमति प्राप्त को छोडकर) जल उपयोग करने के लिए प्रतिबंधित किया गया है।
जिले में निरतंर भू-जल की गिरावट को दृष्टिगत रखते हुए धारा 6 (1) के अंतर्गत जिले के अशासकीय व निजि नलकूप खनन करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। शाजापुर जिले की सीमा क्षेत्र में नलकूप/बोरिंग मशीन संबंधित अनुविभागीय दण्डाधिकारी की अनुमति के बिना न तो प्रवेश करेगी (सार्वजनिक सडक़ो से गुजरने वाली मशीनों को छोडक़र) और न ही बिना अनुमति के कोई खनन करेगी।
एफआईआर हो सकती है
प्रत्येक राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों को ऐसी बोरिंग मशीनों जो अवैध रूप से जिले में प्रतिबंधित स्थानों पर प्रवेश करेंगी अथवा नलकूप खनन/बोरिंग का प्रयास कर रही (विभागीय पेयजल हेतु को छोडक़र) मशीनों को जप्त कर पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज कराने का अधिकार एवं जप्त की गई मशीने तहसीलदार के अधिपत्य में रहेगी। इस अधिसूचना का उल्लंघन करने पर म.प्र. पेयजल परिक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3, धारा 4 या धारा 6 के उपबंध का उल्लंघन, प्रथम अपराध के लिए पांच हजार रूपये के जुर्माने से और पश्चात्वर्ती प्रत्येक अपराध के लिए दस हजार रूपये के जुर्माने से या कारावास से, जो दो वर्ष तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा।
मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 (क्रमांक सन 1987) की धारा (3) की कंडिका- 5 के अंतर्गत कार्यपालन यंत्री/सहायक यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग शाजापुर को अधिनियम के अंतर्गत पारित आदेशो का पालन उनके संबंधित क्षेत्रों में सुनिश्चित करने के लिए अधिकृत किया है। यह आदेश 10 मार्च 2025 से लागू होकर 31 जुलाई 2025 तक प्रभावशील रहेगा।