लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज होने के बावजूद महापौर के निरीक्षण में शामिल रहा पूर्व वाहन प्रभारी

किसी ने नहीं ली कोई आपत्ति, वर्कशॉप प्रभारी की अनुपस्थिति की भी रही चर्चा

उज्जैन, अग्निपथ । सोमवार को महापौर मुकेश टटवाल ने नये वाहनों की उपस्थिति और वर्कशॉप में चल रहे कामकाज की समीक्षा के लिये नगरनिगम के वर्कशॉप का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान वहां पर पूर्व वाहन प्रभारी उमेश बैस भी उपस्थित रहा। जबकि उसपर लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज है और वह सस्पेंड चल रहा है। उसकी उपस्थिति की चर्चा नगरनिगम में दिनभर चलती रही।

पूर्व पार्षद शांताबाई बैस के पुत्र उमेश बैस (मूल पद वाहन चालक) वाहन प्रभारी के पद पर वर्कशॉप में कार्यरत था। उसके उपर लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज हुआ था, जिस पर उसको निगम आयुक्त ने सस्पेंड कर दिया था। सोमवार को महापौर श्री टटवाल ने वर्कशॉप में आये नये वाहनों के निरीक्षण के लिये वर्कशॉप का दौरा किया।

आश्चर्य की बात है कि महापौर की अगवानी भी उमेश बैस ने की और उनको वर्कशॉप की पूरी स्थिति से भी अवगत कराया। इस दौरान वहां पर डिप्टी कमिश्नर संजेश गुप्ता, कार्यपालन यंत्री जगदीश मालवीय, वर्कशॉप प्रभारी रवि राठौर, सब इंजीनियर कृष्णा भूरिया भी उपस्थित रहे। लेकिन किसी ने भी इस पर आपत्ति व्यक्त नहीं की।

प्रकरण हो सकता है प्रभावित

नियमानुसार लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज होने के बाद उमेश बैस को वहां पर उपस्थित नहीं रहना था। इस मामले में महापौर सहित सभी निगम के अधिकारियों को भी आपत्ति उठानी चाहिये थी क्योंकि वहां पर उसके उपस्थित रहने से दस्तावेजों में गड़बड़ की संभावना हो सकती थी। लेकिन सभी के चहेते उमेश बैस की उपस्थिति का किसी ने भी विरोध नहीं किया। यहां तक कि वह पूरे समय महापौर के निरीक्षण के दौरान मौजूद रहा और विस्तार से पूरे वर्कशॉप की वस्तुस्थिति से महापौर को अवगत कराता रहा।

वर्कशॉप प्रभारी की गैरमौजूदगी चर्चा का विषय

नगरनिगम में इस बात की चर्चा चल रही है कि महापौर के निरीक्षण के दौरान एमआईसी सदस्य और वर्कशॉप प्रभारी दुर्गाशक्ति सिंह चौधरी को भी उपस्थित रहना था, लेकिन महापौर ने उनके बगैर ही वर्कशॉप का निरीक्षण कर डाला। ऐसे में एमआईसी सदस्य की अवहेलना भी निगम में चर्चा का विषय बनी हुई है।

15 कर्मचारी रहे अनुपस्थित, कार्रवाई नहीं

महापौर के निरीक्षण के दौरान यहां पर नये आये वाहनों का निरीक्षण महापौर ने किया। इस दौरान कर्मचारियों की उपस्थिति जानी गई तो 207 कर्मचारियों में से 15 कर्मचारियों की अनुपस्थिति की जानकारी उनको दी गई। लेकिन कार्रवाई की जगह उनको ऐसे ही छोड़ दिया गया। जानकारी के अनुसार यह वही 15 कर्मचारी हैं जोकि निगम से वेतन तो ले रहे हैं, लेकिन काम नहीं कर रहे हैं।

इनका कहना

कमिश्नर ने सस्पेंड के बाद उनको वर्कशॉप में ही पदस्थ कर रखा है। हालांकि उनको कोई काम नहीं दिया गया है।
-मुकेश टटवाल, महापौर उज्जैन

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