अधिकारी बोले आरोप झूठे
धार, अग्निपथ। धार जि़ला मुख्यालय से महज़ 15 किलोमीटर दूर तिरला के घोड़ाबाब गांव में वन विभाग की अजब-गज़ब कार्रवाई ने ग्रामीणों को परेशान कर दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि रेंजर महेश अहिरवार और उनके साथियों ने निजी भूमि पर चल रहे ट्रैक्टर को ज़बरन उठा लिया, इतना ही नहीं ट्रैक्टर मालिक और उनके पुत्र के साथ बेरहमी से मारपीट भी की गई। रेंजर ने मौके पर बंदूक निकालकर जान से मारने की धमकी दी।
परिजनों ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि रेंजर महेश अहिरवार दो-तीन अन्य कर्मचारियों के साथ उनके खेत पर आए और निजी भूमि पर ट्रैक्टर चलाने से मना करने लगे। ग्रामीणों ने अपने दस्तावेज़ दिखाने की पेशकश की, लेकिन रेंजर साहब ने एक न सुनी और गाली-गलौज करते हुए बंदूक निकाल ली।
आरोप है कि उन्होंने बंदूक में गोली डालने की कोशिश की, लेकिन गोली लोड नहीं हो पाई और नीचे गिर गई। ग्रामीणों का कहना है कि रेंजर ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी। ट्रैक्टर मालिक के पुत्र ने बताया कि गोली डालते समय लाल रंग की गोली ज़मीन पर गिर गई और परिजन घबराकर भाग गए। परिवार की महिलाओं और पुरुषों के साथ भी अभद्र व्यवहार किया गया और मारपीट की गई।
ग्रामीणों का आरोप है कि रेंजर ने ट्रैक्टर मालिक पर ट्रैक्टर चढ़ाने की भी कोशिश की, जिसमें दो लोग घायल हो गए। इसके बाद ट्रैक्टर को ज़बरन धार कार्यालय ले जाकर खड़ा कर दिया गया। ट्रैक्टर ले जाने की सूचना मिलते ही ग्रामीण और परिजन मुख्यालय आ गए और रेंजर पर दुव्र्यवहार करने का आरोप लगाया।
50 से अधिक ग्रामीणों का हंगामा
रेंजर द्वारा ट्रैक्टर ले जाने के बाद, 50 से अधिक ग्रामीण तत्काल धार कार्यालय पहुंच गए और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मौके पर कागज़ दिखाने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। इससे परेशान होकर ग्रामीणों ने सरकार और अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की। उन्होंने रेंजर और डिप्टी रेंजर पर पैसे लेने का आरोप भी लगाया। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि रेंजर शराब के नशे में धुत था। कर्मचारियों पर मुर्गे खाने और अन्य आरोप भी लगाए गए हैं। पीडि़त परिवार का कहना है कि उनकी ज़मीन राजस्व विभाग के अंतर्गत आती है और उनके पास सभी वैध दस्तावेज़ हैं।
हमेशा विवादों में रहे हैं रेंजर अहिरवार
जब से रेंजर महेश अहिरवार को धार में तैनात किया गया है, तब से उनका विवादों से गहरा नाता रहा है। कभी डीएफओ से विवाद, तो कभी एसडीओ से तू-तू मैं-मैं, और तो कभी कर्मचारियों से उनकी नहीं पटती। वह हमेशा से विवादों में रहे हैं। पिछली बार देवजी रोड पर उन्होंने एक राहगीर की गाड़ी को टक्कर मार दी थी, जिससे उसका पैर टूट गया था। वे कभी-कभार ही ऑफिस जाते हैं और अपना कार्यालय घर से ही चलाते हैं। धार में तैनाती के बाद वे निलंबित भी हो चुके हैं।
2 घंटे के विवाद के बाद भी नहीं निकला हल, ग्रामीण ट्रैक्टर लेकर लौटे
धार कार्यालय में दो घंटे तक चले विवाद के बाद भी कोई हल नहीं निकला। मौके पर एसडीओ ने नक्षा मंगवाकर स्थिति देखी और ग्रामीणों से भी उनके दस्तावेज़ मंगवाए। उन्होंने पटवारी से चर्चा करने की बात कही, लेकिन ग्रामीणों ने एक न सुनी और मौके से ही ट्रैक्टर स्टार्ट कर ले गए। चौंकाने वाली बात यह है कि कल ज़ब्त किए गए ट्रैक्टर को भी ग्रामीण लेकर चले गए। वन विभाग के कर्मचारियों ने रोकने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण एकजुट होकर अपने ट्रैक्टर लेकर चले गए।
अधिकारियों का पक्ष
अगर अतिक्रमण क्षेत्र में ट्रैक्टर चल रहा था, तो वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, जो घटना हुई है, उसकी विधिवत जांच की जाएगी। ग्रामीणों ने जो आरोप लगाए हैं, उनकी भी जांच करवाई जाएगी।
-अशोक कुमार सोलंकी, डीएफओ धार
ट्रैक्टर जहां चल रहा था वह वन विभाग की सरकारी भूमि है। हमने विधिवत कार्रवाई की है। ग्रामीण जो आरोप लगा रहे हैं, वे झूठे हैं।
-महेश अहिरवार, रेंजर धार