पोलायकलां, अग्निपथ। ओडिशा के पुरी में होने वाली भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा की छटा आज पोलायकलां की गलियों में भी देखने को मिली! आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की शोभा यात्रा ने पूरे नगर को भक्तिमय कर दिया। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत संगम बन गई।
शाम 5 बजे जैसे ही यात्रा श्री राम मांगलिक भवन से शुरू हुई, वातावरण जय जगदीश के जयकारों और भक्तिमय भजनों से गूंज उठा। भवन में भगवान जगन्नाथ का विशेष पूजन-अर्चन और अभिषेक कर उन्हें विशाल रथ में विराजित किया गया था। इसके बाद, जैसे ही रथ आगे बढ़ा, डीजे की धुन पर युवा वर्ग थिरकता हुआ नजऱ आया, तो वहीं हजारों श्रद्धालु भगवान की एक झलक पाने को आतुर दिखे।
जनप्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिकों ने की पूजा-अर्चना
यात्रा में नगर परिषद अध्यक्ष पवन राजकुमार, भाजपा नेता सुनील देथल, पूर्व विधायक, पार्षद नरेंद्र मंडलोई, चंदर पटेल, प्रकाश चौधरी, देवराज कामलिया, मुकेश नाना, प्रेमनारायण मंडलोई, भगवत मामा, पप्पू पटेल सहित कई गणमान्य नागरिक और नेता शामिल हुए। इन सभी ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि, शांति और प्रगति की कामना की। यह यात्रा पोलायकलां में सामुदायिक एकता और भक्ति का प्रतीक बन गई, जिसमें हर वर्ग के लोगों ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।
पुष्प वर्षा और जयकारों से गूंजा यात्रा मार्ग
यात्रा नगर के विभिन्न मार्गों से निकली, और हर मोड़ पर भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। हजारों भक्त, हाथों में फूल लिए, भजनों और नृत्यों के साथ जय जगदीश के जयकारे लगाते चल रहे थे। जगह-जगह पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया, जिसमें फूलों की वर्षा, आरती और प्रसाद वितरण शामिल था। कई स्थानों पर सामुदायिक संगठनों और भक्तों द्वारा जलपान और शीतल पेय की व्यवस्था की गई थी, जिससे भीषण गर्मी में भी भक्तों का जोश बना रहा।
स्कंद पुराण के अनुसार, इस यात्रा में भाग लेने या दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, और आज पोलायकलां के हर चेहरे पर यही आस्था और शांति झलक रही थी। चौकी प्रभारी रामेश्वर पटेल, एसआई महेंद्र सिंह गौड़, विशाल पटेल, गजेंद्र सिंह खन्ना और पुलिस के जवानों ने यात्रा मार्ग में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे, जिससे यह भव्य आयोजन शांतिपूर्वक संपन्न हो सका। अरविंद मंडलोई भी इस दौरान उपस्थित रहे, जो इस धार्मिक उत्सव के सफल आयोजन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे थे।
आज की यह रथ यात्रा पोलायकलां के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय लिख गई, जिसने धर्म, संस्कृति और सामुदायिक सौहार्द का एक अनूठा उदाहरण पेश किया।