नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल प्रमोशन पर उज्जैन से चले गए हैं। उनका चार्ज अभी जिला पंचायत के सीईओ अंकित अस्थाना को सौंपा गया है। नगर निगम के स्थायी आयुक्त के लिए तलाश शुरू हो गई है। बताया जाता है कि प्राधिकरण के बाद मंत्री जी की निगाह नगर निगम पर आकर टिक गई है। वे यहां ऐसे अफसर को लाकर बैठाना चाहते हैं जो उनके निर्देश पर काम करें।
इसके लिए उन्होंने सागर के अफसर को तलाश लिया है। परन्तु अभी तक उनकी नियुक्ति के आदेश जारी नहीं किए गए हैं। मंत्री जी प्रयास कर रहे हैं कि उज्जैन नगर निगम में उनकी पसंद के अफसर की नियुक्ति हो जाए। इधर भाजपा से जुड़े कुछ अन्य नेता इस प्रयास में जुट गए हैं कि मंत्री की मंशा पूरी नहीं हो पाए। क्योंकि अगर ऐसा हो जाता है तो आने वाले समय में उनके सामने संकट खड़ा हो जाएगा।
क्योंकि निगम में भी उनकी पसंद के अफसर के होने से उनकी ही सुनवाई होगी। हर छोटे काम के लिए लोगों को मंत्री जी का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। जबकि हालात यह है कि मंत्री जी से मिलना ही अब अपने आप में बढ़ी बात हो गई है। फोन तो वे किसी का नहीं उठाते हैं।
उनके प्यादों की हालत तो इससे भी बुरी है वे अपने को मंत्री से बड़ा नेता समझने लगे हैं। यह बात भाजपा के एक धड़े ने ऊपर तक पहुंचा दी है। देखना अब मंत्री जी कितना सफल हो पाते हैं।