उज्जैन, अग्निपथ। गंभीर बांध में संग्रहित जल अब न्यूनतम स्तर पर आ पहुंचा है। शहर में दो दिन छोडक़र तीसरे दिन पानी देने के फैसले के बाद फिलहाल गंभीर बांध का खाली होना शहर में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है। शायद कम ही लोग जानते है कि गंभीर बांध को 2031 तक शहर की 18 लाख आबादी के मान से डिजाइन किया गया था लेकिन यह महज 9 महीने में ही 8 लाख आबादी की पानी की पूर्ति नहीं कर पा रहा है। अब तेजी से गंभीर बांध का विकल्प तलाशना और इस पर काम शुरू करना जरूरी हो गया है।
साल 1991 में गंभीर पर पक्के बांध का निर्माण किया गया था। अमूमन बांध बनाने का काम पूरे प्रदेश में जल संसाधन विभाग द्वारा किया जाता है लेकिन उज्जैन में सिंहस्थ 1992 को ध्यान में रखते हुए गंभीर बांध को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग(पीएचई) से बनवाया गया था। निर्माण से पहले ही डेम का डिजाइन पीरियड भी तय हो गया था। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था ताकि यह 2031 तक शहर के विस्तार और जनसंख्या के मान से जल आपूर्ति कर सके।
इस अवधि के पूरे होने में 10 साल बाकी है, लेकिन बीते कुछ सालों से गंभीर बांध 100 प्रतिशत क्षमता तक भरने के बावजूद महज 9 महीने ही शहर को पानी दे पा रहा है। दरअसल, बांध जिस क्षमता के लिहाज से बनाया गया था उससे ज्यादा अब पानी की खपत होने लगी है। 2250 एमसीएफटी इसकी कुल क्षमता है। उज्जैन में नई इंडस्ट्रियों की स्थापना के लिहाज से भी पानी की आपूर्ति नई चुनौती बनने वाली है।
गंभीर बांध का इतिहास
- 1980 में गंभीर बांध पर कच्चा मिट्टी का पाला बनाकर 90 एमसीएफटी पानी स्टोरेज करने की व्यवस्था की गई। 10 साल तक इसका उपयोग शहर में सप्लाय के लिए किया गया। तब इसका नाम धनुषकोटी रखा गया था।
- 1981 में इसे 2 लाख 1 हजार आबादी के मान से डिजाइन किया गया था।
- 1991 में पक्का बांध बनाने से पहले से इसके प्रोजेक्ट को तीन बार रिवाइज किया गया।
- पहले 1996 तक की 5 लाख आबादी के मान से डिजाइन तैयार हुई, फिर २011 तक की 8 लाख 50 हजार आबादी को लक्ष्य बनाकर डिजाइन बदला गया। इसके बाद 2031 तक की 18 लाख आबादी के मान से इसकी डिजाइन रिवाइज की गई।
- 2031 तक शहर की आबादी के मान से डिजाइन किया गया था गंभीर बांध
बारिश से पहले क्यों खाली हो जाता है डेम - 1991 में अंबोदिया गांव में गंभीर नदी पर सिंहस्थ के मद्देनजर पक्का बांध बनाया गया। 1992 में इसे महज 670 एमसीएफटी तक ही भरा गया।
- 1994 में पहली बार गंभीर बांध को पूर्ण क्षमता यानि 2250 एमसीएफटी तक भरा गया। बांध बनाने के वक्त ही यह तय था कि गंभीर बांध से शहर को 6 एमजीडी पानी प्रतिदिन लिया जाएगा। इसके अलावा 6 एमजीडी शिप्रा नदी से और 1 एमजीडी उंडासा तालाब से और 1.5 एमजीडी पानी ट्यूबवेल, कुओं से लेकर शहर में सप्लाय किया जाएगा।
- 2004 आते-आते गंभीर से प्रतिदिन 12 एमजीडी पानी लिया जाने लगा, 6 एमजीडी शिप्रा का पानी लेते रहे, 1-1 एमजीडी पानी उंडासा और साहेबखेड़ी जलाशय से लिया जाता था।
- 2004 के बाद शिप्रा से पानी लेना लगभग बंद कर दिया गया। फिलहाल अकेले गंभीर बांध से ही 18 एमजीडी पानी प्रतिदिन लिया जा रहा है।
- इसका साफ मतलब यह है कि हम गंभीर बांध का तो पूरा दोहन करते रहे लेकिन उंडासा, साहेबखेड़ी, शिप्रा जैसे जलस्त्रोत पर निर्भरता कम करते गए। बस यहीं गड़बड़ हो गई।
- समय के साथ गंभीर में जलभराव की कैपेसिटी कम होती गई, हमारी निर्भरता बढती रही और वैकल्पिक स्त्रोतो को सहेजने के प्रति हमारा शहर उदासीन रहा।
- 15 अक्टूबर तक बारिश का सीजन माना जाता है, इस वक्त तक डेम पूरी तरह से भरी हुई अवस्था में होता है। 15 अक्टूबर से 15 जुलाई तक 9 महीने में ही गंभीर बांध खाली हो जाता है।