भारत के विकास में भ्रष्टाचार बहुत बड़ी बाधा है। भ्रष्टाचार का विरोध करके ही सन् 2014 में नरेन्द्र मोदी जी सत्ता पर काबिज हुए थे। भ्रष्टाचार के मामले में देशवासियों को प्रधानमंत्री मोदी जी से बहुत उम्मीदें थी कि अब भारत में शायद कमी आयेगी परंतु वर्ष 2021 में भी भारतीय निराश ही है। सतही तौर पर रिश्वत लेने वाले और भ्रष्टाचार करने वाले पहले से कहीं अधिक निडर और उन्मुक्त होकर अपने पापों को अंजाम दे रहे हैं, हाँ एक बात और समय और महंगायी के साथ बीते 10 वर्षों में रिश्वत और भ्रष्टाचार की दरें भी दुगुनी हो गयी है।
रेलवे स्टेशनों से लेकर शासन के उच्च कार्यालयों तक में बिना रिश्वत दिये काम नहीं होता। समाजवादी पार्टी के प्रणेता डॉ. राममनोहर लोहिया द्वारा 21 दिसंबर 1963 को भारत की संसद में भ्रष्टाचार खात्मे के मुद्दे पर बहस दौरान कहा था कि ‘सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं’।
आजादी के 10 वर्षों बाद ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में फँसा नजर आने लगा था जो आज भी बदस्तूर जारी है। करप्शन पर्सेप्शन्स इंटरनेशनल इंडेक्स की वर्ष 2020 की 180 देशों की सर्वे सूची में हमारा भारत 86वीं पायदान पर है 40 अंकों के साथ जबकि 2019 की रिपोर्ट में भारत 41 अंकों के साथ 80वीं पायदान पर था। इस संस्था की रिपोर्ट बताती है कि बीते 10 वर्षों में दुनिया भर के देशों ने भ्रष्टाचार से निपटने में कोई खासी दिलचस्पी नहीं दिखायी। दुनिया के दो तिहाई से अधिक देशों के 50 से कम अंक है।
इस इंडेक्स में देशों में फैले भ्रष्टाचार को 1 से 100 अंकों के बीच बांटा गया है, जिस देश को 100 में से 100 अंक प्राप्त होते हैं वह सबसे कम भ्रष्टाचार और जिस देश को 1 अंक प्राप्त होता है उसे सबसे अधिक भ्रष्ट माना जाता है। दुनिया भर के देशों में 100 में से 100 अंक तो किसी भी देश को नहीं मिलते हैं जिसका सीधा से अर्थ है दुनिया में पूरी तरह से कोई भी ईमानदार नहीं है।
सबसे कम भ्रष्टाचार की बात करें तो 86 अंकों के साथ डेनमार्क और न्यूजीलैंड सबसे कम भ्रष्ट देशों की सूची में प्रथम व द्वितीय पायदान पर है। 85 अंकों के साथ फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन, स्विटजरलैंड तीसरी पायदान पर है। 67 अंकों के साथ अमेरिका 180 देशों की सूची में 25वें और 42 अंकों के साथ चीन 78वीं पायदान पर है, 68 अंकों के साथ भूटान 24वीं पायदान पर।
भ्रष्टाचार के मामले में दक्षिण एशियाई देशों की हालत बदतर है, बांग्लादेश इस क्षेत्र में 146वें क्रम पर, पाकिस्तान 124वें, नेपाल 117, श्रीलंका 94वें क्रम पर है। दुनिया के 180 देशों में सबसे खराब स्थिति या सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार वालें देश दक्षिण अफ्रीका के सूडान और सोमालिया है जिन्हें 12-12 अंक मिले हैं।
अब हमारे प्रदेशों की बात करें तो भारतीय भ्रष्टाचार सर्वे 2019 की रिपोर्ट अनुसार देश के 28 राज्यों और 8 केन्द्र शासित प्रदेशों में 1 लाख 90 हजार नागरिकों से भ्रष्टाचार से संबंधित सवाल पूछे गये इनमें से 51 प्रतिशत नागरिकों ने 12 माह में एक बार किसी ना किसी मामले में रिश्वत देना स्वीकार किया है। सर्वे रिपोर्ट में देश के 8 राज्यों को भ्रष्टाचार में स्थान दिया गया है इस रिपोर्ट में 8वें नंबर पर तमिलनाडु का नाम है 62 प्रतिशत निवासियों ने सरकारी विभागों में रिश्वत देना स्वीकार किया है और इसमें से 35 प्रतिशत ने एक से अधिक बार रिश्वत दी है।
7वें नंबर पर कर्नाटक प्रदेश है जहाँ 63 प्रतिशत लोगों ने एक बार और 35 प्रतिशत ने कई बार रिश्वत दी है। 6ठें नंबर पर पंजाब है जहाँ के 63 प्रतिशत निवासियों ने एक बार और 27 प्रतिशत ने अनेक बार रिश्वत दी है, पाँचवें क्रम पर तेलंगाना है जहाँ के 67 प्रतिशत लोगों ने अपना काम रिश्वत देकर कराया और 56 प्रतिशत ने तो कई बार रिश्वत दी है, चौथे नंबर पर उत्तरप्रदेश है जहाँ 74 प्रतिशत ने एक बार और 57 प्रतिशत ने अनेक बार रिश्वत दी है, तीसरे नंबर पर झारखंड है जहाँ 74 प्रतिशत ने एक बार और 50 प्रतिशत ने अनेक बार, दूसरे नंबर पर बिहार है जहाँ 75 प्रतिशत ने एक बार और 50 प्रतिशत ने कई बार रिश्वत दी है।
राजस्थानवासियों के लिये इसे गर्व कहे या शर्मिंदगी? वहाँ के 78 प्रतिशत नागरिकों ने अपना काम रिश्वत देकर कराया है और रिश्वत देने के मामले में देश के 28 राज्यों में राजस्थान सिरमौर है।
हमारा मध्यप्रदेश भी भ्रष्टाचार के मामले में पीछे नहीं है आर.टी.आई. से प्राप्त एक जानकारी अनुसार वर्ष 2015 में किस राज्य में कितने भ्रष्टाचारी पकड़ाये हैं के जवाब में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) ने जानकारी दी है कि वर्ष 2015 में 1270 मामलों के साथ महाराष्ट्र प्रथम स्थान पर और 634 मामलों के साथ हमारा मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है।
मध्यप्रदेश में वर्ष 2014 में 465 और 2015 में 634 भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किये गये थे कुल 1099 मामलों में से 439 मामलों में तो पुलिस अभी तक आरोप-पत्र ही पेश नहीं कर सकी। 2015 के अंत तक ही 340 मामले लंबित थे। भ्रष्टाचार से जुड़े 26 मामलों में संबंधितों से 44 करोड़ 24 लाख की राशि जब्त कर मध्यप्रदेश देश में राशि के मामले में सिरमौर रहा।
घूसघोरी के खिलाफ केस की अनुमति के सबसे ज्यादा लंबित मामले मध्यप्रदेश में ही है। यह है कहानी देश, दुनिया और प्रदेश की जो हकीकत को बताती है कि घूसघोरी और भ्रष्टाचार की धरातल पर स्थितियां कैसी है। सबसे ज्यादा शिकायतें महकमे और निकाय से संबंधित विभागों की है।
हमारे देश के ईमानदार प्रधानमंत्री ने भले ही बोला हो कि ‘ना खाऊँगा ना खाने दूँगा’ परंतु सच्चाई यह है कि भले ही देश की सत्ता बदल गयी हो प्रधानमंत्रियों का चेहरा बदल गया हो परंतु भ्रष्टाचार की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। यह मानव जाति कि नसों में समा चुका है जिसका निकलना अब नामुमकिन है।
जय हिंद