झारडा। आषाढ़ बीतने को है और पानी बरसने का नाम ही नहीं ले रहा। सोयाबीन कि फसल बोए को लगभग एक माह जाने के बाद भी पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं बरसने से फसल को भारी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।
बीते दो वर्षों से कोरोना ने हर किसी की कमर तोड़ दी तो महंगे बिजवारे के बाद अब पानी सबकी नींद उड़ाने लगा हैं। सोयाबीन बोए को लगभग एक माह बीत चुका है। बादलों की तपन और पानी की कमी के चलते खेतो में खड़ी फसल मुरझाने लगी है। रोजाना मौसम बनता है और बादलों का आना-जाना होता है लेकिन पानी बरसता नहीं। किसानों की निगाह अब बादलों पर ही हैं।