नई दिल्ली। देश की राजनीति में आपराधिक लोगों को दूर रखने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला दिया। अदालत सभी राजनीतिक दलों को हिदायत दी है कि अपने प्रत्याशी चयन करने के 48 घंटे के भीतर उनका आपराधिक ब्योरा सार्वजनिक करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, राजनीतिक दलों को अपने सभी उम्मीदवारों की जानकारी पार्टी की वेबसाइट पर पर पोस्ट करने के साथ ही दो अखबारों में भी प्रकाशित करनी होगी। उम्मीदवार तय करने के 72 घंटे में इस आदेश का पालनकर रिपोर्ट चुनाव आयोग को भी सौंपनी होगी। यह प्रक्रिया सभी पार्टी को करना अनिवार्य होगा।
फरवरी 2020 के आदेश में किया बदलाव
नए आदेश के साथ ही कोर्ट ने अपने पिछले फैसले में बदलाव किया है। फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के अंदर या फिर नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से दो हफ्ते पहले (इन दोनों में से जो भी पहले हो) उम्मीदवारों की पूरी जानकारी देनी होगी। वहीं पिछले महीने कोर्ट ने कहा था कि इसकी संभावना कम है कि अपराधियों को राजनीति में आने और चुनाव लड़ने से रोकने के लिए विधानमंडल कुछ करेगा।
नवंबर में दाखिल की गई थी याचिका
इस मामले में नवंबर 2020 में एडवोकेट ब्रजेश सिंह ने याचिका दायर की थी। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान उन पार्टियों के खिलाफ मानहानि की अर्जी दाखिल की थी, जिन्होंने अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का ब्योरा नहीं दिया था।