नई दिल्ली। भारत ने आधिकारिक तौर पर 31 अगस्त को पहली बार तालिबान से बातचीत की है और इस बातचीत से पाकिस्तान को मिर्ची लग गई है। पाकिस्तान इस बात से परेशान हुए जा रहा है कि भारत और तालिबान बातचीत क्यों कर रहे हैं। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि पाकिस्तान, तालिबान के साथ मिलकर भारत को परेशान करने की कोशिश कर सकता है।
चीन में पाकिस्तान के राजदूत हैं मोईन उल हक़ ने मीडिया से बातचीत करते हुए भारत, पाकिस्तान और तालिबान को लेकर अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि कोई भी देश अफगानिस्तान में शांति को लेकर पाकिस्तान से अधिक इच्छुक नहीं है। पाकिस्तान की तरह ही चीन भी एक शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान चाहता है।
भारत और तालिबान के बीच शुरू हुए बातचीत को लेकर उन्होंने कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि भारत अफगानिस्तान में सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाएगा। इतिहास में भारत ने अफगानिस्तान में शांति के खिलाफ काम किया है।
पाकिस्तान लगातार भारत पर इस बात का आरोप लगाता रहा है कि भारत अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी कामों में करता रहा है और भारत इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज करता रहा है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि तालिबान और भारत के बीच बातचीत से पाकिस्तान का परेशान होना जायज है। पाकिस्तान नहीं चाहता है कि तालिबान और भारत नजदीक आए। शायद इसीलिए पाकिस्तान, भारत और तालिबान के बीच बातचीत से परेशान हो रहा है।