सीहोर, अग्निपथ। सीहोर में जयश्री गायत्री फूड पनीर फैक्ट्री के कर्मचारियों का धैर्य अब जवाब दे गया है। अपनी ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) की राशि के लिए भटक रहे इन कर्मचारियों ने मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय पर धरना प्रदर्शन कर अपनी आवाज बुलंद की। कर्मचारियों का आरोप है कि फैक्ट्री प्रबंधन ने लाखों रुपये का ईपीएफ हड़प लिया है, और सरकारी तंत्र भी उनकी सुनवाई नहीं कर रहा।
धरने पर बैठे कर्मचारियों ने अपनी आपबीती सुनाते हुए चौंकाने वाले खुलासे किए। उन्होंने बताया कि जब भी फैक्ट्री में बिजली कटती थी, वे जनरेटर चलाकर उत्पादन जारी रखते थे, ताकि चोरी-छिपे काम चलता रहे। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा फैक्ट्री बंद किए जाने के बाद भी, करोड़ों रुपये का पनीर बनाकर विदेशों में निर्यात किया गया।
कर्मचारियों ने कहा, हमने प्रबंधन की हर मनमानी में साथ दिया, उनकी चोरियां छिपाईं, लेकिन अब वही प्रबंधन हमारा लाखों रुपये का ईपीएफ हड़प गया है। हम सरकार और प्रशासन से मांग करते हैं कि जयश्री गायत्री फूड पनीर फैक्ट्री पर सख्त कार्रवाई की जाए और हमारा ईपीएफ हमारी खातों में तुरंत जमा करवाया जाए।
अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला, कर्मचारी हुए हैरान
अपनी समस्या लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे कर्मचारियों को एक बार फिर निराशा हाथ लगी। कलेक्टर ने उन्हें जिला श्रम अधिकारी प्रियंका वंशीवाल के पास भेज दिया। लेकिन, श्रम अधिकारी ने कर्मचारियों से कहा कि उन्हें ईपीएफ कार्यालय भोपाल ही जाना होगा, क्योंकि वह कुछ नहीं कर सकती। उन्होंने इसका कारण बताया कि जयश्री गायत्री फूड पनीर फैक्ट्री सरकारी रिकार्ड में बंद है। इस जवाब से कर्मचारी और भी हैरान हो गए, क्योंकि उन्होंने दावा किया कि फैक्ट्री अभी भी चालू है और उसमें उत्पादन भी हो रहा है। उन्होंने सवाल किया कि अगर फैक्ट्री चालू है, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?
इन कर्मचारियों ने उठाई आवाज
धरने पर बैठे अनिल परमार, जयप्रकाश, लाड़सिंह, बद्री प्रसाद, दिनेश भीम, नूरअली, जितेंद्र, राकेश, लक्ष्मण सिंह, अनिल, जयदीप, रोहित, राहुल, पवन, गोविंद, रवि मेवाड़, राहुल राजपूत, रवि राजपूत, अशोक मेवाड़ और लोकेन्द्र राजपूत सहित अन्य कर्मचारियों ने कलेक्टर से जयश्री गायत्री फूड पनीर फैक्ट्री प्रबंधन से उनका ईपीएफ फंड दिलवाने की मांग की है।
कर्मचारियों का कहना है कि वे तब तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, जब तक उन्हें उनका हक नहीं मिल जाता। यह मामला एक बार फिर दिखा रहा है कि कैसे श्रम कानूनों की अनदेखी कर कर्मचारियों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है और कैसे ऐसे मामलों में सरकारी मशीनरी की धीमी चाल से मजदूर वर्ग को परेशानी उठानी पड़ती है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कब तक कोई ठोस कदम उठाता है और इन मेहनतकश मजदूरों को उनका बकाया ईपीएफ मिल पाता है या नहीं।