उज्जैन। महाकवि कालिदास के बारे में जितना बोला जाये, उतना कम है। कालिदास के साहित्य में 64 कलाएं विद्यमान थीं। महाकवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में अनेक विषयों को वर्णित किया है। उनके साहित्य में भूगोल, विज्ञान, खगोल, इतिहास और श्रृंगार का बोध भी था। महाकवि कालिदास की कल्पना अदभुत थी।
यह बात उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को अखिल भारतीय कालिदास समारोह के समापन समारोह में कही। सांसद अनिल फिरोजिया की अध्यक्षता में कालिदास संस्कृत अकादमी के पं.सूर्यनारायण व्यास संकुल सभागृह में हुए कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डॉ. यादव ने कहा कि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन कम अवधि में सम्पन्न हुआ है। तीन दिनों में कला और साहित्य की एक अत्यन्त सुन्दर यात्रा आज समाप्त हुई है। महाकवि कालिदास साहित्य के सूर्य थे। वर्तमान में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिये पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय तथा संस्कृत के कई कॉलेज प्रारंभ किये गये हैं। मंत्री ने विक्रम कालिदास पुरस्कार की पांच हजार रुपये की राशि में वृद्धि कर अगले वर्ष 21-21 हजार रुपये और राष्ट्रीय कालिदास निबंध प्रतियोगिता में तीन-तीन हजार की राशि में वृद्धि कर 15-15 हजार रुपये करने की घोषणा की।
सांसद फिरोजिया ने इस मौके पर कहा कि कालिदास अकादमी विद्वतजनों, कलाकारों और साहित्यकारों की तीर्थस्थली है। उन्होंने कहा कि कालिदास समारोह से आमजन का जुड़ाव होना चाहिये। कालिदास समारोह में विश्व के श्रेष्ठ कलाकार अपनी प्रस्तुति देना चाहते हैं।
समापन समारोह के सारस्वत अतिथि विक्रम विवि के पूर्व कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा ने संस्कृत में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान महाकाल तथा भगवती गढक़ालिका की कृपा से महाकवि कालिदास ने यश प्राप्त किया। कालिदास की सात रचनाएं सात रंगों की प्रतीक हैं। ये इन्द्रधनुष की तरह सुन्दर हैं। उनके सात काव्य वाग्मयी आकाश को सुशोभित करते हैं। कालिदास का एक नाम दीपशिखा भी था। कालिदास की रचनाएं मुख्यत: भगवान महाकालेश्वर को समर्पित थीं। इस वर्ष का कालिदास समारोह लोककल्याण पर आधारित कालिदास की रचनाओं पर आधारित था। महाकवि कालिदास ने विशाला नगरी का नाम रोशन किया।
इस दौरान संभागायुक्त आनन्द कुमार शर्मा, कलेक्टर आशीष सिंह, रूप पमनानी, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय, कालिदास अकादमी की प्रभारी निदेशक प्रतिभा दवे, उप निदेशक डॉ. योगेश्वरी फिरोजिया एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे। अतिथियों द्वारा प्रारंभ में शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय के साधकों द्वारा नन्दीपाठ, कुलगान और मध्य प्रदेश गान प्रस्तुत किया गया।
प्रदर्शनी के चित्रों की पुस्तिका का विमोचन
डॉ.संतोष पण्ड्या ने कालिदास समारोह कार्यक्रम के प्रतिवेदन का वाचन किया। अतिथियों द्वारा विक्रम शोध पत्रिका के कालिदास विशेषांक का तथा कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला प्रदर्शनी की चित्र पुस्तिका का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया। आभार कालिदास अकादमी के सहायक निदेशक डॉ.संतोष पण्ड्या ने प्रकट किया। अन्त में कार्यक्रम का समापन संस्कृत महाविद्यालय के साधकों की भरतवाक्यम की प्रस्तुति के साथ सम्पन्न हुआ।
विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता पुरस्कृत
अखिल भारतीय कालिदास समारोह में शुक्रवार को अतिथियों ने संस्कृति विभाग द्वारा प्रदत्त राष्ट्रीय कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला प्रतियोगिता के सहभागियों को पुरस्कृत किया गया। एक-एक लाख रुपये का पुरस्कार ‘ऋतुसंहार चित्रम’ वाराणसी उत्तर प्रदेश की डॉ.कनुप्रिया, समुत्सुक प्रावृट् राजस्थान उदयपुर के शरद भारती, ‘ग्रीष्मवर्णन सम्पूर्ण’ महाराष्ट्र नसीराबाद के श्याम कुंडलीक कुमावत तथा महाकवि ‘कालिदास के ऋतुसंहार में मन की बात’ राजस्थान जयपुर के विजय वर्मा को प्रदान किया गया। एक-एक लाख रुपये के पुरस्कार के साथ प्रशस्ति-पत्र, अंगवम, स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया।
इसी तरह मूर्तिकला में एक लाख रुपये का पुरस्कार ‘श्रृंगारित आम्रवृक्ष’ शीर्षक से महाराष्ट्र के असोदा के सालवे संतोष रामा को प्रदान किया गया। अखिल भारतीय कालिदास समारोह में विक्रम कालिदास पुरस्कार के चार व्यक्तियों को पांच-पांच हजार रुपये का पुरस्कार, प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। पुरस्कार प्राप्त करने वालों में उज्जैन की डॉ. श्वेता पण्ड्या, हरियाणा प्रान्त पलवल के डॉ. राजकुमार मिश्र, दिल्ली की डॉ. रागिनी शुक्ला और जबलपुर की डॉ. सुमनलता श्रीवास्तव को प्रदान किया गया।
इसी तरह राष्ट्रीय कालिदास निबंध प्रतियोगिता (संस्कृत) में तीन-तीन हजार रुपये का पुरस्कार शासकीय संस्कृत महाविद्यालय उज्जैन की मानसी उपाध्याय और हिन्दी में एलएडी महाविद्यालय नागपुर की तृप्ति विजय काशीकर एवं अंग्रेजी में महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वेदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के वेंकटेश अग्निहोत्री को पुरस्कार प्रदान किया गया।