धरना प्रदर्शन के दौरान किसान-मजदूर नेताओं ने कहा
देवास, अग्निपथ। सरकार द्वारा लागू किए तीन कृषि कानून के विरोध में लाखों किसान पिछले दस महीने से संघर्ष कर रहे हैं व 600 से ज्यादा किसान शहीद हो गए हैं, लेकिन सरकार द्वारा किसानों की मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार द्वारा बिजली बिल- 2021 लागू किया जा रहा है जो बिजली के निजीकरण को बढ़ावा देगा। सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण किया जा रहा है। जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा।
यह बात किसान नेताओं ने सोमवार को यहां धरना प्रदर्शन के दौरान कही। संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा किए गए भारत बंद के आव्हान पर देवास में भी 27 सितंबर को धरना प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ से संगठन संभागीय अध्यक्ष मानसिंह कोठारी, जिलाध्यक्ष गगन सिंह पटेल, संतोष जाट, सलीम शेख, जिला सहमंत्री संदीप प्रजापति, जिला मीडिया प्रभारी, श्रमिक संगठन एआईयूटीयूसी से राजुल श्रीवास्तव, आई केकेएमएस से रोहित राठौर, एआईडीएसओ से विजय मालवीय, एलआईसी यूनियन से मोहन जोशी आदि शामिल हुए।
वक्ताओं ने कहा कि श्रम कानूनों में संशोधन करके मजदूरों के अधिकारों का भी हनन किया जा रहा है। मंहगाई भी चरम पर है एक साल में पेट्रोल 60 प्रतिशत, खाद्य तेल-44.28 प्रतिशत, रसोई गैस- 31 प्रतिशत, दाल के दाम 12 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। पेट्रोलियम पदार्थ की मूल कीमत से भी ज्यादा टैक्स लगाकर सरकार ने पेट्रोल-डीजल को आम आदमी की पहुँच से दूर कर दिया है। रसोई गैस के दामो में हाल ही में एक साथ 25 रूपये बढा दिए गए। आज रसोई गैस की कीमत 950 रुपए से अधिक है।
संयुक्त किसान मोर्चा, द्वारा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी दिया गया जिसमे मांग की गई कि कृषि विरोधी तीनों कृषि कानून वापिस लिए जाए। बिजली संशोधन बिल-2021 रद्द किए जाए। श्रमिकों के अधिकार का हनन करने वाली श्रमिक संहिता वापस ली जाए, एम.एस.पी. की कानूनी गारंटी दी जाए। सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर रोक लगाई जाए। बढ़ती हुई महंगाई को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाए। सभी फसलों को स्वामीनाथन आयोग सीटू प्लस 50 पर खरीदने की गारंटी दो। प्रदर्शन का संचालन विनोद प्रजापति ने किया।