हाथ थामकर चले और कटवाया केक, आडवाणी को बर्थडे विश करने पहुंचे PM मोदी

नई दिल्ली। भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सोमवार को उनके आवास पर पहुंचे। यह मौका लालकृष्ण आडवाणी के जन्मदिन का था। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ ही होम मिनिस्टर अमित शाह, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी मौजूद थे।

इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और आडवाणी के बीच काफी गर्मजोशी नजर आई। पीएम नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ नेता को पुष्पगुच्छ भेंट किया और फिर उनका हाथ थामकर चलते नजर आए। इसके बाद एलके आडवाणी के घर पर ही पीएम नरेंद्र मोदी, वेंकैया नायडू और राजनाथ सिंह समेत कई नेता उनके साथ बैठे नजर आए।

इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में आडवाणी को शुभकामनाएं देते हुए लिखा, ‘सम्मानीय आडवाणी जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। उनके लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं। लोगों को सशक्त करने और हमारे सांस्कृतिक गौरव को बढ़ाने के लिए उन्होंने जो प्रयास किए, देश इसके लिए उनका ऋणी रहेगा। विद्वता व बुद्धिमत्ता के लिए भी उनका हर ओर सम्मान किया जाता है।’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आडवाणी को शुभकामनाएं देते हुए कहा, ”वह भारत के उन सबसे सम्मानित नेताओं में गिने जाते हैं, जिनकी विद्वता, दूरदर्शिता, बौद्धिक क्षमता और राजनय का लोहा सभी मानते हैं। ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे एवं दीर्घायु करे।’

भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा, भाजपा को जन-जन तक पहुंचाने और देश के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई। आडवाणी जी पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत हैं। मैं ईश्वर से आपकी दीर्घ आयु और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करता हूं।’

भाजपा के उभार में आडवाणी का बड़ा योगदान

आडवाणी का जन्म सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान) के कराची शहर में एक सिंधी हिंदू परिवार में हुआ था। वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में देश के गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री रहे। राष्ट्रीय क्षितिज पर भाजपा के उभार का सबसे बड़ा श्रेय आडवाणी को ही दिया जाता है। उन्होंने 80 के दशक में अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए यात्रा निकाली थी और इसके बाद देश भर में भाजपा का जनाधार बढ़ता ही चला गया।

राम मंदिर आंदोलन के योद्धा माने जाते हैं आडवाणी

लालकृष्ण आडवाणी को देश के उन नेताओं में से एक माना जाता है, जिनके चलते भारतीय राजनीति दो ध्रुवीय हो गई। अटल, आडवाणी की जोड़ी का लंबे समय तक भारतीय राजनीति में अच्छा-खासा दखल रहा है। राम मंदिर आंदोलन के दौरान लालकृष्ण आडवाणी की ओर से निकाली गई रथयात्रा ही थी, जिसके चलते भाजपा को देश भर में अपना जनाधार बढ़ाने में मदद मिली थी और हिंदुत्व की अलख जगाकर उसने सत्ता का रास्ता तय किया था।

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