कोर्ट ने इसी मामले में गिरफ्तार चार सह आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के साथ जिला जेल में बंद रहे चारों सह आरोपियों को गुरुवार की रात जेल से रिहा कर दिया गया था। अदालत ने बुधवार को इन्हें बरी कर दिया था। यह सभी गायत्री के साथ वर्ष 2017 से जिला जेल में बन्द थे। सामूहिक दुष्कर्म और पास्को एक्ट में शुक्रवार को अदालत ने पूर्व मंत्री गायत्री, अशोक तिवारी और आशीष को दोषी करार दिया था। जबकि अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, विकास वर्मा, चंद्रपाल एवं रूपेश को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया था।
इस मामले की रिपोर्ट चित्रकूट की रहने वाली महिला ने 18 फरवरी 2017 को लखनऊ के गौतम पल्ली थाने पर दर्ज कराई गई थी। महिला ने आरोप लगाया कि उसे नौकरी दिलाने और घर पर काम करने के बहाने लखनऊ लाया गया था। यहां गायत्री और उसके सहयोगियों ने उसके साथ सामूहिक दुराचार किया। वर्ष 2014 से जुलाई 2016 तक उसका शारीरिक शोषण किया जाता रहा। वह सब कुछ सहती रही लेकिन जब इन लोगों ने उसकी 16 साल की बेटी से भी दुष्कर्म करने का प्रयास किया तो वह चुप नहीं बैठी। महिला का आरोप है कि आरोपियों ने उसे खनन का काम और नौकरी दिलाने के नाम पर लखनऊ बुलाया और अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर उसके साथ रेप किया। महिला का आरोप है कि घटना की विस्तृत शिकायत पुलिस महानिदेशक से भी की गई थी पर कोई कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट के सामने विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई। जिस पर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश हुआ।
चित्रकूट की इस पीड़िता से समझौते के लिये गायत्री और उनके परिचितों ने पूरा जोर लगा दिया था। पर, पीड़िता अपनी जिद पर अड़ी रही। गायत्री की गिरफ्तारी के बाद ही उस पर बयान बदलने के लिये दबाव बनाया गया लेकिन वह किसी से नहीं मानी। इतना ही नहीं उसने यह आरोप भी लगाया था कि गायत्री को सपा सरकार में पहले बचाने का पूरा प्रयास किया गया था। पर, जब मामले ने काफी तूल पकड़ा और वह सुप्रीम कोर्ट तक गयी तो सरकार को भी पीछे हटना पड़ा। गायत्री प्रजापति के खिलाफ हर तरफ से शिकंजा कसता चला गया था।