न्यू बोर्न बेबी वीक पर वेबीनार का आयोजन
उज्जैन। शिशु व माँ दोनों को स्तनपान के कई फायदे होते है। मॉ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है जो उसके विकास में अत्यंत सहायक है। शिशु के जन्म के तुरन्त बाद तुरन्त बच्चे को स्तन पर लगाते ही ऑक्सिटॉसिन नामक हार्मोन निकलता है जो कि आंवल यानि प्लेसेन्टा को बाहर निकलने में मदद करता हैं, आंवल निकलने से प्रसुति पश्चात् होने वाला रक्तस्राव भी कम हो जाता हैं। कोलोस्ट्रम (शुरू का गाढ़ा दूध) को कई लोग निकालकर फेंक देते है जो कि सरासर गलत हैं। इसमें इम्यूनोग्लोब्यूलिन, लाइसोजाईम तथा और भी अनेक लाभकारी तत्व हैं।
उपरोक्त विचार जेके हॉस्पीटल की महिला एंव प्रसुति रोग विशेषज्ञ डॉ जया मिश्रा ने न्यू बोर्न बेबी वीक पर आयोजित एक वेबीनार को संबोधित करते हुए व्यक्त किये । उन्होने कहा कि कोलोस्ट्रम से बच्चे की पूरी एक पतली फिल्म का कवच बन जाता है, जो बाहरी बेक्टीरिया और अन्य किटाणुओं के शरीर में प्रवेश को रोकता हैं व उनसे लडऩे की क्षमता प्रदान करता हैं।
तुरंत स्तनपान से शिशु का पेट साफ हो जाता है, वह हरे व काले रंग का मल म्यूकोनियम जल्दी कर देता हैं। माँ के शरीर की गर्मी से शिशु को ठंड नहीं लगती यानि हायपोथर्मिया नहीं होता। शिशुओं को होने वाले पीलिया की तीव्रता भी कम हो जाती हैं। जन्म के लगभग 10-30 मिनट तक शिशु की चूसने की शक्ति यानि सकिंग रिफ्लेक्स बहुत सकिय होता हैं, बाद में बच्चा सोने लगता है।
बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका भी होता है
बच्चे को स्तन मुंह में देने के लिए स्तन “सी” के आकार में पकडि़ए ना कि वी या कैंची के समान जो कि अक्सर सिखाया जाता हैं। आपका अंगूठा बच्चे के मुंह के समानान्तर होगा और चारों उंगलियाँ स्तन के नीचे वाले भाग में होगी। इससे बच्चे को स्तन का वजन नही लगेगा। बच्चे के नाक के उपर से निप्पल को छुआते हुए नीचे लाना है, धीरे से निप्पल को बच्चे के होंठ से छुआना है और रूकना है, बच्चा अपने आप मुंह खोलेगा, इतना कि जब वो उबासी लेता हैं।
बच्चे का सिर थोड़ा-सा पीछे कीजिए। जिससे उसकी चिन (ठुड्डी) स्तन पर टच होने लगती हैं। अब धीरे से बच्चे को स्तन की तरफ लाए। इसका 2-3 बार भी प्रयास करना पड़ सकता हैं।
माँ का दूध पीने वाले बच्चे में भविष्य में ब्लडप्रशर, शुगर आदि कई बीमरी होने का खतरा भी कम हो रहता है। साथ ही जो माता शिशुओं को स्तनपान कराती है उनमें स्तन केंसर भी कम होता हैं। माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान है।
माँ का दूध माँ और बच्चे के बीच स्नेह बंधन का काम करता है और बच्चे को रोग से लडऩे के लिए प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता हैं। इसलिए माँ को बच्चे को छरू महीने तक स्तनपान कराना ही चाहिए। वेबीनार में बडी संख्या में माता पिता व परिजन मौजूद थे। जिन्होने नवजात बच्चों की केयर को लेकर प्रश्न भी पूछे । सभी प्रश्नों का डॉक्टर नेे सारगर्भित जवाब दिया।