शाजापुर, अग्निपथ। नहरों की सफाई के नाम पर लीपापोती कर सिंचाई विभाग द्वारा लाखों रुपए की धांधली किए जाने का खेल खेला गया है। वहीं जिम्मेदार अपनी गलती को मानने की बजाय किसानों को ही अपने-अपने आसपास की नहर में सफाई करने की नसीहत दे रहे हैं। ऐसे में अधिकारियों के खिलाफ किसानों में रोष नजर आ रहा है।
इस वर्ष अच्छी बारिश के बाद सिंचाई विभाग ने चीलर बांध से निकली दो नहरों में से बाई नहर से सिंचाई के लिए पानी छोड़ा गया है। सिंचाई के लिए पानी छोडऩे से पहले नहरों की सफाई की जाना थी जिसके लिए शासन द्वारा विभाग कोप्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी लाखों रुपए आवंटित किए गए लेकिन विभाग के जिम्मेदारों ने कुछ स्थानों पर नहरोंं की सफाई कर खानापूर्ति करते हुए लाखों रुपए की आपस में बंदरबांट कर ली है।
किसान खुद करें सफाई, हमारे पास पैसा नहीं
चीलर बांध से निकली दो नहरों में से एक बाईं नहर में सिंचाई के लिए पानी छोड़ दिया गया है। नहर की बिना सफाई किए ही पानी छोड़े जाने से किसानों को पर्याप्त पानी नही मिलेगा। बाईं नहर से करीब 15 गांव की 1 हजार हैक्टेयर भूमि की सिंचार्ई की जाना है। बाई नहर का पानी अंतिम गांव टुंगनी रागबेल तक पहुंचाया जाना है, परंतु नहरों की सफाई नही होने से पानी खेतों तक कम पहुंच रहा है।
इधर सफाई को लेकर सिंचाई विभाग के इंजीनियर योगेश गुप्ता का कहना है कि हमारे पास पैसा नही है, क्योंकि शासन ने जो राशि दी थी वह बेहद कम थी जिससे नहर की सफाई कराना संभव नही था। जितनी राशि मिली थी उससे ज्यादा राशि हम नहरों की सफाई पर खर्र्च कर चुके हैं।
सफाई के लिए हमे जेब से पैसा देना पड़ा है। अब दोनों ही नहरों में घास उग आई है और गंदगी है तो किसान अपने-अपने क्षेत्र की नहरों की स्वयं ही सफाई कराएं।
दाईं नहर की भी नही हुई सफार्ई
उल्लेखनीय है कि चीलर नदी से दाईं और बाईं नहर निकली हैं जिसके माध्यम से करीब हजारों हैक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाना है। बाई नहर से जहां करीब 1 हजार से अधिक भूमि की सिंचाई की जाना है तो वहीं दाईं नहर से 18 गांवों की लगभग 4 हजार से अधिक हैक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी दिया जाना है, लेकिन सिंचाई विभाग द्वारा बाई नहर की ही तरह बाई नहर की भी सफाई नही कराई गई और विभाग ने 25 नवंबर को नहर के चालू करने का शेड्यूल भी तैयार लिया है। अब सवाल यह उठता है कि सफाई के लिए लाखों रुपया आने के बाद भी नहरों की स्थिति दयनीय क्यों बनी हुई है?
इनका कहना है
सरकार हमें नहर सफाई के लिए पैसा कम देती है जिससे पूरी नहर की सफाई नही कराई जा सकती। इस वर्ष भी सफाई लिए पैसा कम आया, जिसके कारण हमें नहर की सफाई के लिए जेब से पैसा खर्च करना पड़ा। किसान स्वयं ही नहर की सफाई करें तो बेहतर होगा। -योगेश गुप्ता, सिंचाई विभाग शाजापुर।