आरटीआई में मिली जानकारी के बाद कोर्ट जाने की तैयारी
नागदा, अग्निपथ। आरटीआई कार्यकर्ता अभय चोपड़ा द्वारा सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी के तहत मध्यप्रदेश शासन नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय भोपाल द्वारा जवाब दिया गया कि नगर पालिका नागदा में नियमित मुख्य नगर पालिका अधिकारी भविष्य कुमार खोब्रागड़े को अन्यत्र पदस्थ करना उचित नहीं होगा।
ऐसा संचानालय नगरीय प्रशासन विभाग का मत है तथा सूचना के अधिकार के साथ संलग्न संचालानालय नगरीय प्रशासन विकास विभाग पत्र क्रं. स्था. 26/319/2021/10815 दि. 5/7/2021 के अनुसार मुख्य नगर पालिका अधिकारी ‘क‘ वर्ग की पदोन्नति के लिये संबंधित पद का कम से कम 5 वर्ष का अनुभव रखने वाले मुख्य नगर पालिका अधिकारी वर्ग ‘ख‘ के अधिकारियो तथा ‘क‘ श्रेणी की नगर पालिका परिषद के राजस्व अधिकारियों के द्वारा पदोन्नति की जा सकती है। लेकिन मंत्रालय द्वारा अपनी नोटशीट में बताया गया कि सी.एस. जाट (राजस्व अधिकारी) प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी तराना में राजस्व अधिकारी थे जो कि ‘ग‘ श्रेणी की नगर पालिका है।
साथ ही यह भी बताया गया कि संलग्न नस्ती के अनुसार विभागीय मंत्री जी के अनुमोदन एवं समन्वय में मुख्यमंत्री के अनुमोदन पर आदेश क्रं. 1-138/2021/18-1 के द्वारा दिनांक 8 सित. 2021 को सी.एस. जाट राजस्व अधिकारी का प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी नागदा पर स्थानान्तरण किया गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं प्रभारी मंत्री द्वारा अपात्र व्यक्ति का स्थानांतरण करना गंभीर अपराध है।
आरटीआई कार्यकर्ता अभय चोपड़ा ने बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा रिट याचिका 14632/2020 में राज्य शासन को निर्देश दिये थे कि फीडर केडर के व्यक्ति को ही नगर पालिका के सीएमओ पर नियुक्त किया जावे। नागदा नगर पालिका ‘क‘ श्रेणी की नगर पालिका है और इसमें ‘क‘ श्रेणी के सीएमओ अथवा ‘क‘ श्रेणी के फीडर केडर में आने वाले सीएमओ को ही नियुक्त किया जाए। लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री द्वारा उच्च न्यायालय और नियम कानूनों का उल्लंघन करते हुए अपने पद का दुरूपयोग करते हुए राजनीतिक स्वार्थों के चलते नागदा नगर पालिका में पद के अनुरूप अधिकारी जानबुझ कर नियुक्त नहीं किया गया जो कि एक गंभीर अपराध है।
इस विषय में उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन भी संबंधित विभाग के अधिकारियो द्वारा नहीं किया गया है। इस संदर्भ में सामाजिक कार्यकर्ता अभय चोपडा द्वारा दि. 23 सितंबर 2021 को राज्य शासन को अवमानना सूचना पत्र दिया गया था ओर इस सुचना पत्र पर कार्यवाही की जानकारी मांगने के लिये दि. 1 नवम्बर 2021 को सूचना का अधिकार लगाया गया था। इसके अंतर्गत मंत्रालय द्वारा जानकारी उपलब्ध करवाई गई।
आरटीआई कार्यकर्ता अभय चोपड़ा ने बताया कि राज्य शासन द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले की अवमानना को लेकर एवं विधि विरूद्ध तबादला करने को लेकर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने हेतु उच्च न्यायालय की शरण ली जावेगी।