सजा सुनाए जाने के बाद कोर्ट से बाहर आते नलिन शर्मा हत्याकांड के दोषी वासवानी व अन्य।
शहीद पार्क पर स्थित माणक भवन पर कब्जे के विवाद में दी थी 2 लाख की सुपारी
उज्जैन, अग्निपथ। शहर के ख्यात दूध कारोबारी मोहन वासवानी सहित 4 लोगों को शुक्रवार को 13 साल पुराने बहुचर्चित एडवोकेट नलिन शर्मा हत्याकांड के आरोप में अपर सत्र न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साधारण सी सडक़ दुर्घटना लगने वाले इस केस की तफ्तीश में पुलिस जुटी तो एक के बाद एक कई सनसनीखेज खुलासे होने लगे थे। फ्रीगंज शहीद पार्क की एक बिल्डिंग पर कब्जे के विवाद में मोहन वासवानी और उसके साथी ने 2 लाख रुपए की सुपारी देकर एडवोकेट नलिन शर्मा की हत्या करवाई थी।
अपर सत्र न्यायाधीश संतोष प्रसाद शुक्ला के न्यायालय ने शुक्रवार दोपहर आरोपी मोहन वासवानी, दुर्गा पिता मिहीलाल, राजकुमार पिता शांतिलाल राठौर और राजेश पिता लक्ष्मीनारायण शर्मा को दोषी करार दिया। चारों आरोपियों को दोषी करार दिए जाने के बाद न्यायाधीश ने इन्हें हिरासत में लेने के निर्देश जारी किए।
कोर्ट रूम में खड़े चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट बैरक में ले जाया गया। शाम 4 बजे चारों आरोपियों को पुलिस ने दोबारा कोर्ट में पेश किया। यहां न्यायाधीश ने चारों ही आरोपियों को हत्या की धारा 302 और षडय़ंत्र की धारा 120 बी के तहत आजीवन कारावास और 80 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद चारों आरोपियों को फिर से गिरफ्तार कर न्यायालय से सीधे जेल भेज दिया गया।
कोर्ट के बाहर पटाखे चलाए
फ्रीगंज स्थित मधुर डेयरी के संचालक और उज्जैन दुग्ध विक्रेता संघ के अध्यक्ष मोहन वासवानी की फ्रीगंज में कई जगहों पर विवादित प्रापर्टी है। प्रापर्टी विवाद की वजह से मोहन वासवानी की कई जगहों पर दुश्मनी भी है। नानाखेड़ा क्षेत्र की एक अवैध होटल को तुड़वाने में भी मोहन वासवानी की अहम भूमिका रही है। शुक्रवार दोपहर जब कोर्ट रूम में जब मोहन वासवानी और उनके सह आरोपियों को सजा सुनाई गई तब कोर्ट के बाहर कुछ लोगों ने पटाखे भी चलाए।
सडक़ दुर्घटना से हत्या की सुपारी तक की कहानी
- शहीद पार्क के कार्नर पर स्थित माणक भवन कभी विनोद मिल की प्रापर्टी था। विनोद मिल बंद होने के बाद इसे एरन कॉटन मिल ने खरीदा और इसके बाद इसका सौदा मोहन वासवानी और उनके कुछ पार्टनर्स ने कर लिया।
- इसी माणक भवन में एडवोकेट नलिन शर्मा और उनके भाई उमेश शर्मा किराएदार थे। मोहन वासवानी और उनके पार्टनर किसी तरह करोड़ो की कीमत वाले माणक भवन खाली कराना चाहते थे, इसके लिए नलिन शर्मा को 35 लाख रुपए तक का ऑफर दिया गया था।
- नलिन शर्मा का इसी भवन में मेडिकल स्टोर भी है, उन्होंने मोहन वासवानी और उनके पार्टनर्स का ऑफर स्वीकार नहीं किया।
- सौदेबाजी के बीच ही 28 मार्च 2009 की रात 8.30 बजे शहीद पार्क के नजदीक गेंहू मंडी चौराहे पर ही एक टवेरा गाड़ी ने एड्वोकेट नलिन शर्मा को टक्कर मार दी थी। टक्कर इतनी तेज थी कि नलिन शर्मा गाड़ी से उछलकर 20 फीट दूर जाकर गिरे और उनकी मौत हो गई।
- साधारण सडक़ दुर्घटना प्रतीत होने वाले इस केस को पुलिस ने दुर्घटना के केस के रूप में ही दर्ज किया। इसी बीच मुखबिर के जरिए तत्कालीन माधवनगर टीआई के.के. उपाध्याय को सूचना मिली कि केस दुर्घटना नहीं बल्कि हत्या है।
- इसी सूचना के आधार पर पुलिस ने टवेरा गाड़ी के चालक दुर्गा और उसके साथ गाड़ी में सवार रहे राजेश शर्मा को हिरासत में लिया। शुरूआती पूछताछ में दोनों से कुछ खास हांसिल नहीं हो सका। इसके बाद पुलिस ने दोनों के मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली।
- बस यहीं चौंकाने वाला खुलासा हुआ, कॉल डिटेल से पता चला कि दुर्घटना के वक्त और इससे पहले व बाद में दुर्गा को अलग-अलग नंबर से कई कॉल किए गए थे।
- पुलिस ने तफ्तीश आगे बढ़ाई तो पता चला कि फ्रीगंज का ही दूध व्यवसायी राजकुमार राठौर अलग-अलग नंबर से दुर्गा और राजेश शर्मा से बात कर रहा था, उन्हें नलिन शर्मा की लोकेशन बता रहा था।
- पुलिस ने राजकुमार राठौर को उठाया और उससे पूछताछ की तो खुलासा हुआ कि मोहन वासवानी के कहने पर उसने दुर्गा और राजेश शर्मा को नलिन शर्मा की गाड़ी से कुचलकर हत्या करने के लिए 2 लाख रुपए की सुपारी दी थी।