भाजपा-कांग्रेस दोनों ओर टूट का खतरा, सिर्फ एक वोट का अंतर
महिदपुर, (विजय चौधरी) अग्निपथ। नगर पालिका अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए 10 अगस्त को होने वाले चुनाव की ओर भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस के साथ साथ आम लोगों की भी निगाहें लगी हुई है। 18 पार्षदों वाली नगर पालिका परिषद के लिए हाल ही में हुए निर्वाचन के घोषित नतीजों में भाजपा के 9 और कांग्रेस के 8 पार्षद जीतकर आए हैं। ऐसे में वार्ड 4 के निर्दलीय पार्षद को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों दलों के रणनीतिकार एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है। वहीं नपा अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करने के लिए साम-दाम-दंड-भेद की नीति की चर्चाएं भी राजनीतिक गलियारों में सुनाई दे रही है।
ऐसे में पार्षदों के टूटने का खतरा भी दोनों दलों में बना हुआ है। चारों ओर असमंजस के वातावरण के बीच दोनों दल अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत के दावे कर रहे हैं। हालांकि अभी के हालात देखकर लग रहा है कि ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है। दोनों ही दलों की ओर से बहुमत का जुगाड़ करने के दावों के तहत जहां भाजपा के नेता अपने पार्षदों के अलावा एक से दो अतिरिक्त पार्षद का समर्थन मिलने की बात कह रहे हैं।
वही कांग्रेस के जिम्मेदार दो अन्य पार्षदों के समर्थन को लेकर आश्वस्त हैं। ऐसी कशमकश पूर्ण स्थिति में नपा उपाध्यक्ष के पद को लेकर भी राजनीतिक सौदेबाजी अध्यक्ष के चुनाव का पासा पलटने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
दोनों दलों के पार्षद अज्ञातवास पर
वर्तमान में स्वार्थ पूर्ण राजनीति के दौर में संगठन के प्रति समर्पण, निष्ठा व सेवाभाव की बातें केवल भाषणों तक सिमट गई है। ऐसे में नगर पालिका के नवनिर्वाचित पार्षदों पर न तो भाजपा को भरोसा है और न ही कांग्रेस को। परिषद में दोनों ही दल स्पष्ट बहुमत नहीं पा सके और मुकाबला बराबरी का है तो स्वाभाविक रूप से बहुमत लिए दोनों दलों की ओर से जीतोड़ प्रयास किए जा रहे है।
इससे बचाव के लिए जहां भाजपा ने अपने सभी 9 पार्षदों को चुनाव परिणाम के अगले दिन से ही अज्ञातवास पर भेज दिया। वहीं कांग्रेसी पार्षद भी पिछले कुछ दिनों से भूमिगत हो गए हैं। हालांकि दोनों दलों में टूट-फूट की संभावना बनी हुई है फिर भी पार्षदों को एकजुट रखने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं।
कांग्रेस की कमजोर कड़ी गुटबाजी
महिदपुर नगर पालिका के चौकाने वाले चुनाव परिणामों ने भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों के जिम्मेदारों की नींद उड़ा कर रख दी है। जहां भाजपा की ओर से शुरू से लेकर आज तक सारी कमान या कहें कि संपूर्ण शक्तियां भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक बहादुर सिंह चौहान के पास है। इसके ठीक विपरीत कांग्रेसी खेमे में ऐसा कोई सर्वमान्य नेता नहीं होने से कांग्रेस पार्टी गुटों में बंटी नजर आ रही है। संगठन स्तर पर कांग्रेस पूरी तरह बिखरी हुई है।
हाल ही में जनपद अध्यक्ष पद के चुनाव में बुरी तरह मुंह की खाने के बाद तो आम कांग्रेसी को भी अपने स्थानीय एवं जिला संगठन के पदाधिकारियों पर विश्वास नहीं रह गया है। कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी वाली कमजोर कड़ी का पूरा फायदा उठाने के लिए भाजपा ताक लगाए बैठी है।
मत निरस्त होने का भी खतरा
18 पार्षदों वाली नगर पालिका परिषद में भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों को बहुमत नहीं मिलने के पश्चात अध्यक्ष का चुनाव काफी कांटा कस हो गया है। एक एक मत अत्यंत महत्वपूर्ण है, ऐसे में नवनिर्वाचित पार्षदों में अनुभवहीनता व कुछ के अशिक्षित होने की वजह से थोड़ी सी असावधानी व चूक से मत निरस्ती का भी खतरा बना हुआ है।
इससे भी उलटफेर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए निर्वाचन आयोग को नवनिर्वाचित पार्षदों को प्रशिक्षण देने पर विचार करना चाहिए।
ये हो सकते हैं दावेदार
आज नगर में चारों ओर यही सवाल सुनाई दे रहा है कि 10 अगस्त को किसके सिर पर होगा नगर पालिका अध्यक्ष का ताज। चूंकि नपा अध्यक्ष का पद महिलाओं के लिए आरक्षित है, ऐसे में भाजपा विधायक रणनीति के तहत चुनाव के ऐन पहले अपना कार्ड ओपन करेंगे। जिससे किसी भी तरह की विवाद या मतभेद न उभर सकें।
फिर भी भाजपा की ओर से नपा अध्यक्ष पद के लिए वार्ड-5 की पार्षद नानीबाई ओम प्रकाश माली सशक्त दावेदार मानी जा रही है। वही कांग्रेस की ओर से वार्ड-11 की पार्षद अरुणा आंचलिया के नाम पर लगभग सहमति बनती दिखाई दे रही है।