पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में मेरी कालजयी उज्जैयिनी का वर्णन है। ऐसी पवित्र भूमि को मेरा बारम्बार प्रणाम। महान उज्जैयिनी का इतिहास बहुत प्राचीन है। 1107 ईसवी से लेकर 1728 ईसवी तक इस पर यवनों का शासन रहा, जिन्होंने 4500 वर्षों से स्थापित प्राचीन हिंदु परम्पराओं को नष्ट कर दिया। 1235 ईसवी में इल्तुत्मिस ने उज्जैन में स्वयंभू दक्षिणमुखी होने के कारण अत्यन्त पुण्यदायी भगवान शिव के शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि उनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है उसे तोडक़र कोटिकुंड में डाल दिया था। 1728 ईसवी में उज्जैन पर मराठों का आधिपत्य स्थापित हुआ जिन्होंने कोटिकुंड से शिवलिंग निकलवाकर पुन: स्थापित करवाया साथ ही मंदिर का पुन:र्निर्माण भी करवाया।
मेरी उज्जैयिनी के लिये गर्व की बात यह रही कि सन् 1731 से लेकर 1809 तक यह मालवा की राजधानी भी रही। मराठों के बाद राजा भोज सहित अन्य शासकों ने भी मंदिर की सौन्दर्यता में वृद्धि के लिये प्रयास किये। सन् 1980 में बिड़ला उद्योग समूह द्वारा सभामंडप का भी निर्माण करवाया गया।
42 वर्षों बाद पुन: एक बार बाबा महाकाल के आँगन का विस्तार एवं सौंदर्यीकरण किया गया है। इस बार स्मार्ट सिटी परियोजना में पूरा ध्यान उज्जैन प्राण वायु महाकालेश्वर मंदिर पर केन्द्रित किया गया। शायद केन्द्र व मध्यप्रदेश की भाजपातीत सरकार के कार्यकाल में यह कार्य मील का पत्थर साबित होगा।
तीन चरणों के कार्य पूर्ण होने के बाद मंदिर तो अपने भव्य रूप में आयेगा ही इसके साथ ही इस प्राचीन और ऐतिहासिक अवंतिका नगरी की सूरत और सीरत दोनों ही बदलेगी। दुनिया भर से उज्जैन आने वाले पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोत्तरी होगी जो इस शहर में लोगों के रोजगार में वृद्धि करेगी, साथ ही नये परिसर क्षेत्र से लगे जयसिंहपुरा जैसे अविकसित क्षेत्रों का आगामी पाँच वर्षों में नक्शा ही बदल जायेगा। इंदौर व उज्जैन के अनेक धनाड्य लोगों ने अभी से यहां संपत्ति खरीदना चालू कर दिया है। भविष्य में वहाँ आलीशान होटलें एवं रेस्टोरेन्ट दिखायी देंगे। मेरा उज्जैन विकास के लिये नयी करवट ले रहा है।
हिंदुस्तान के पंत प्रधान माननीय नरेन्द्र मोदी जी मंदिर परिसर के प्रथम चरण का लोकार्पण करने आज उज्जैन आ रहे हैं। इस अद्भुत और अकल्पनीय स्वप्न को साकार करने में जिस भी राजनैतिक, प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग रहा है, यह शहर सदैव उनका आभारी रहेगा। जन्म-जन्मांतर तक यहाँ के नागरिक शायद उनका यह ऋण उतार न पायें।
यहाँ मैं विशेष रूप से कुछ नामों का जिक्र करना चाहूँगा जिसमें सबसे पहले देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, मध्यप्रदेश के शिवभक्त मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी जिन्होंने सर्वप्रथम महाकालेश्वर मंदिर परिसर विस्तार हेतु 300 करोड़ की धनराशि देने की घोषणा की थी, सांसद अनिल फिरोजिया जी, उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव जी, विधायक पारस जी जैन, प्रशासनिक अधिकारियों में जिन्होंने अपने कार्यकाल की श्रेष्ठतम क्षमता इस कार्य हेतु समर्पित कर दी उनमें वर्तमान आगर जिलाधीश अवधेश शर्मा जी, अनूपपुर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुजान सिंह रावत, स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहे प्रदीप जैन जी, जितेन्द्र जी एवं वर्तमान में पदस्थ श्री आशीष पाठक जी, निगम के पूर्व आयुक्त क्षितिज सिंघल जी जिनकी कार्यक्षमता का सभी लोहा मानते हैं ऐसे उज्जैन शहर के गौरवशाली वर्तमान जिलाधीश आशीष सिंह जी जिनके अथक प्रयासों और कुशल नेतृत्व के कारण यह सपना साकार हो सका है।
निश्चित तौर पर भविष्य में जब भी इस कालजयी उज्जैयिनी का इतिहास लिखा जायेगा उसमें 11 अक्टूबर 2022 स्वर्णाक्षरों में अंकित किया जायेगा। हम सब उज्जैनवासियों का यह कत्र्तव्य है कि इस शताब्दी के आज होने वाले अभूतपूर्व आयोजन में शामिल होकर उज्जैन के विकास की लिखी जा रही इबारत के साक्षी बनकर इतिहास का हिस्सा बने। आज माननीय मोदी जी की सभा में उपस्थित रहकर जनमैदिनी का हिस्सा बने और आतिथ्य सत्कार परंपरा का भी एक नया इतिहास रचें।