्रउज्जैन,अग्निपथ। विश्वविद्यालय परिसर में दो दिन पूर्व जिला प्रशासन की बिना अनुमति के कई बहुमूल्य पेड़ों की कटाई सफाई के नाम पर कर दी गई। पेड़ों से काटी गई कई टन लकड़ी को बाले बाले रफा-दफा करने का मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय परिसर में वाकिंग करने वालों ने कंट्रोल रूम को सूचना के बाद ट्रक जब्त कर उसे पुलिस के हवाले किया। विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन इस पूरे मामले में मामूली पेड़ों की कटाई करने की बात कह कर लीपापोती करने में जुटा हुआ है।
विक्रम विश्वविद्यालय वनस्पति अध्ययन शाला में रविवार को पेड़ों को काटकर उसकी लकड़ी ट्रक में ले जाई जा रही थी। तभी वहां पर शाम को घूमने वाले लोगों ने ट्रक जब्त कर पुलिस के हवाले किया। इसके बाद घूमने वाले चले गए और पुलिस से सेटिंग कर ट्रक को वहां से निकाल दिया। पुलिस की कोई कार्रवाई नहीं होने पर घूमने वाले लोगों ने इसकी सूचना मीडिया को दी। मीडिया ने इस पूरे मामले की जांच पड़ताल की तो पता चला कि पिछले पांच छह दिनों से प्रतिदिन सैकड़ों पेड़ विश्वविद्यालय परिसर एवं वनस्पति अध्ययनशाला से काट दिए गए। पेड़ों की कटाई को लेकर कोई प्रशासनिक अनुमति भी नहीं ली गई थी।
इस मामले में जब कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडे से पत्रकारों ने चर्चा की तो उन्होंने कहा है कि बबूल के पेड़ होने के कारण उन्हें हटाया गया है। यह पेड़ अन्य वनस्पति प्रजाति को पनपने नहीं देते हैं। इसलिए उन्हें हटाया गया। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि वह बहुमूल्य सागवान की लकडिय़ां थी जो बेशकीमती होने के कारण बाजार में ऊंची कीमत में बेची जाती है।
काटी गई लकडिय़ों के बारे में पूछताछ की गई तो बताया गया है कि वह चक्रतीर्थ शमशान घाट पर दान में दे दी गई है। जबकि हकीकत यह है इस तरह की लकड़ी चक्रतीर्थ पहुंची ही नहीं थी और यह लकडिय़ां बाले-बाले ही रफा दफा कर दी गई।
पेड़ों को काटे जाने के कोई सबूत नहीं रहे इसके लिए पेड़ों के कटाई के बाद जो ठूठ थे। उन्हें विश्वविद्यालय के कर्मचारियों द्वारा आग लगाकर जला दिया गया ताकि पेड़ों के काटे जाने के बाद वहां कोई सबूत न बच सके। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों ने ठूठ जलाए जाने के चित्र भी मोबाइल में कैद कर लिए गए।
मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव एवं छात्र नेता प्रतीक जैन ने इस पूरे मामले की जांच कराए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि बिना प्रशासन की इजाजत के इन पेड़ों की कटाई कैसे कर दी गई? इसकी भी पूरी जांच की जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने पेड़ों की लकडिय़ां कहां रफादफा की गई इस बारे में भी विश्वविद्यालय को संतोषजनक स्पष्टीकरण देना चाहिए। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई तो इस पूरे मामले को राजभवन को अवगत करा कर कार्रवाई की मांग की जाएगी।