शिप्रा तटों पर सुबह और शाम को किया दीपदान, जगमगाया शिप्रा का आंचल
उज्जैन, अग्निपथ। मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा पर शिप्रा तट पर स्नान के लिये भारी भीड़ उमड़ी। दो साल के बाद यह पहली बार है कि जब सिंहस्थ जैसी भीड़ शिप्रा तट पर नजर आई। हजारों लोगों ने मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान किया। ग्रामीण अंचलों से श्रद्धालु एक दिन पहले से ही आना शुरू हो गए थे। चंद्र ग्रहण होने के बाद भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में स्नान के लिये पहुंचे। हालांकि कई लोगों ने ग्रहण का सूतक काल लगने से पहले ही स्नान के साथ दीपदान भी कर लिया था।
मंगलवार को कार्तिक मास की पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण होने के बाद भी मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट, सुनहरी घाट, दत्त अखाड़ा सहित अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखाई दी। कोरोना काल के दो वर्ष के बाद यह पहली बार है कि जब शिप्रा तट पर इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान दान के लिये पहुंचे हों।
श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद घाट पर बैठे पंडे-पुजारियों से पूजन करवाया और दान पुण्य किया। ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालु सोमवार की शाम से ही शहर में प्रवेश करना शुरू हो गये थे। रात शिप्रा तट और अन्य जगहों पर बिताने के बाद सुबह 4 बजे से स्नान का क्रम शुरू हो गया था। इसके बाद शाम के समय ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालु कार्तिक मेले में पहुंचे।
सुबह कम, शाम को बड़ी संख्या में हुआ दीपदान
कार्तिक पूर्णिमा पर मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में सुबह स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने ग्रहण का सूतक लगने से पहले दीपदान तो किया ही साथ ही शाम को भी रामघाट सहित गंगा घाट पर दीपदान किया। वैकुंठ चतुर्दशी पर तो अपने पूर्वजों को यहां का रास्ता बताने के लिये दीप छोड़े गये। लेकिन इसी परंपरा के चलते मंगलवार को भी नदी के किनारों पर सुबह और शाम के समय दीपदान किया गया।