महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विवि का दीक्षान्त समारोह सम्पन्न
उज्जैन, अग्निपथ। राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनन्दीबेन पटेल गुरुवार 31 दिसम्बर को महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षान्त समारोह में वीसी के माध्यम से शामिल हुई। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा संस्कृति, संस्कार और मानव मूल्यों की जननी बताते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत अध्ययन से असीमित रोजगार की संभावनाएं बनती हैं। व्यक्ति को अपनी राह खुद तय करने का सामथ्र्य संस्कृत भाषा प्रदान करती है।
दीक्षान्त उपदेश प्रदान करते हुए श्रीमती पटेल ने महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी एवं प्रसन्नता और संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय निरन्तर लक्ष्य की ओर बढ़े। संस्कृत विद्या के प्रचार-प्रसार एवं शोध में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता रहे।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनन्दीबेन पटेल ने वीसी के माध्यम से दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए विद्यार्थियों को सदा सच बोलने, आदर्श आचरण करने तथा निरन्तर स्वाध्याय करते रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने विद्यार्थियों को अपनी मां, पिता को अपने आचार्य को तथा दरवाजे में आये अतिथि को देवता मानकर उनका सम्मान करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि अपने श्रेष्ठ आचरण से समाज का मार्गदर्शन संस्कृत के विद्यार्थी करें। राज्यपाल ने सभी के सुखद एवं मंगलमय भविष्य की शुभकामनाएं दी और समस्त उपाधि प्राप्त छात्रों को बधाई दी।
द्वितीय दीक्षान्त समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने उपाधिकर्ता छात्र-छात्राओं को बधाई दी। उन्होंने विश्वविद्यालय के विकास हेतु शासन स्तर से सहयोग करने का आश्वासन दिया। डॉ.यादव ने कहा कि श्री महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान उज्जैन को विश्वविद्यालय में जोडऩे की बात भी कही, जिससे वहां के संसाधनों का शोधकार्य तथा उच्च शिक्षा में उपयोग हो सकेगा। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने संस्कृत ग्रंथों के अनुवाद करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय को संस्कृत के व्यापक प्रचार-प्रसार की कार्य योजना बनाकर कार्य किया जाना चाहिये। विश्वविद्यालय को जो भी सहयोग की अपेक्षा होगी, शासन पूर्ण करेगा। मंत्री डॉ. यादव ने ज्योतिष की पुस्तकों का विमोचन करते हुए कहा कि उज्जैन ज्योतिष कालगणना की भूमि है, अत: विश्वविद्यालय द्वारा किया गया ज्योतिष के ग्रंथों का प्रकाशन प्रशंसनीय है।
उज्जैन-आलोट संसदीय क्षेत्र के सांसद अनिल फिरोजिया ने इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उज्जैन को संस्कृत के प्रकाण्ड पंडितों की साधना भूमि के रूप में रेखांकित करते हुए महाकवि कालिदास, महर्षि सान्दीपनि, वराहमिहिर आदि के योगदान पर विचार व्यक्त किये। उन्होंने विश्वविद्यालय को इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य करने पर बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित की। साथ ही संस्कृत ग्रंथों के प्रकाशन पर प्रसन्नता व्यक्त की।
विधायक पारस जैन ने इस अवसर पर द्वितीय दीक्षान्त समारोह के सफल आयोजन पर बधाई दी। विश्वविद्यालय के स्थापना पर किये गये स्वयं के योगदान की चर्चा करते हुए इसके विकास में हरसंभव सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। विधायक श्री जैन ने विश्वविद्यालय के द्वारा किये जा रहे विविध अकादमिक आयोजनों पर प्रसन्नता व्यक्त की। समारोह में सारस्वत अतिथि श्री सोमनाथ, प्रो. गोपबंधु मिश्र ने राज्यपाल के द्वारा गुजरात राज्य में संस्कृत शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार में किये गये योगदान की चर्चा करते हुए संस्कृत शिक्षा श्रेष्ठ नागरिक निर्माण आत्मनिर्भरता तथा स्वरोजगार के लिये अत्यन्त उपयोगी है। उन्होंने सभी उपाधि प्राप्तकर्ता छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनन्दीबेन पटेल ने वीसी के माध्यम से द्वितीय दीक्षान्त समारोह की अनुमति से समारोह का शुभारम्भ दीपदीपन के साथ सम्पन्न हुआ। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पंकज लक्ष्मण जानी ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। तत्पश्चात डॉ. जानी ने समारोह का प्रास्ताविक भाषण प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय के द्वारा किये जा रहे विभिन्न अकादमिक कार्यों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के अन्त में आभार प्रदर्शन विश्वविद्यालय के उप कुलपति प्रो. मनमोहन उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा छात्रों को उपाधि प्रदान की। उपाधि वितरण विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एलएस सोलंकी द्वारा करवाया गया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. तुलसीदास परोहा द्वारा किया गया। समारोह के पूर्व दीक्षान्त शोभायात्रा पंचवटी परिसर से प्रारम्भ होकर कार्यक्रम स्थल तक आयोजित की गई। इस शोभायात्रा में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन, विश्वविद्यालय के कुलपति, उप कुलपति, कुलसचिव तथा कार्य परिषद के सदस्य आदि शामिल हुए।