नगर निगम चुनाव की तैयारी हर पार्टी करने में जुट गई है। लेकिन इन दिनों चुनावों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में कांग्रेस पार्टी है। पिछले दिनों कांग्रेस ने पार्षद और महापौर पद के दावेदारों को आवेदन बांट कर तमाम नियमों के साथ इन्हें जमा कराने की प्रक्रिया शुरू की है। पार्षद-महापौर बनने का सपना संजोए कई लोग आवेदन फॉर्म ले गए हैं। लेकिन चर्चा तब शुरू हुई जब आवेदन लेकर गए दावेदारों को तमाम बंदिशों की जानकारी लगी। जिसमें शपथ-पत्र के माध्यम से लिखित में देना है कि टिकट नहीं मिलने पर अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे। पार्षद प्रत्याशी को वार्ड के कम से कम ५० लोग जानते हों और उनकी लिखित सहमति भी हो। ऐसे ही महापौर दावेदारों को शहर में २५०० लोग जानते हैं और टिकट दिए जाने का समर्थन करते हों। इसके अलावा और भी नियम कायदे लागू किए गए हैं। इतने सारे नियम देखकर दावेदार असमंजस में पड़ गए कि वे इनकी पूर्ति कैसे करें। लेकिन बाद में जब यह चर्चा चली कि यह कानून-कायदे लोकल हैं। ऊपरवालों ने ऐसे कोई नियम नहीं बनाए हैं। तो तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई। सच्चाई क्या है, नियम किसने बनाए हैं कोई बताने वाला नहीं है।