भस्मारती में नीम के जल से स्नान किया, नीम का रस अर्पित भी किया
उज्जैन, अग्निपथ। शहर में बुधवार को गुड़ी पड़वा का पर्व सबसे पहले भगवान श्री महाकालेश्वर के मंदिर में मना। सुबह भस्मारती में भगवान श्री महाकाल को नीम के जल से स्नान कराया गया। बाद में नीम का रस अर्पित किया गया। गुड़ी पड़वा के मौके पर भगवान श्री महाकालेश्वर के शिखर का ध्वज भी बदला गया?
मान्यता के अनुसार पृथ्वी के नाभि केंद्र पर स्थित काल के अधिपति भगवान महाकाल के आंगन से नवसंवत्सर की शुरुआत होती है। बुधवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर 22 मार्च को मंदिर के पुजारियों ने भगवान महाकाल को नीम मिश्रित जल से स्नान कराया। वहीं पंचांग का पूजन कर मंदिर के मुख्य शिखर पर नया ध्वज फहराया।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में गुड़ी पड़वा पर सुबह चार बजे भस्म आरती में पुजारियों ने भगवान महाकाल को नीम मिश्रित जल से स्नान कराया। पं. प्रदीप पुजारी ने बताया कि इस दिन से हिन्दू वर्ष का आरंभ होता है, इसलिए नए पंचांग का पूजन भी किया जाता है। मंदिर के शिखर पर नया ध्वज चढ़ाया जाता है।
ऋतु परिवर्तन का महीना है चैत्र
पं. प्रदीप पुजारी ने बताया कि चैत्र मास ऋतु परिवर्तन का महीना है। इस माह में ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। इसके प्रभाव से वात, कफ , पित्त की वृद्धि होती है। इससे अनेक रोग जन्म लेते हैं। वात, कफ, पित्त के निदान के लिए नीम के सेवन का महत्व है। आयुर्वेद में भी नीम मिश्री के सेवन को अमृत तुल्य बताया है।
ज्योर्तिलिंग की परंपरा में अखिल विश्व को समय का बोध, तिथि के महत्व तथा आयुर्वेद के माध्यम से निरोगी रहने का संदेश दिया जाता है। इसलिए इस दिन भगवान महाकाल को नीम युक्त जल से स्नान कराते हैं। सनातन धर्म की ध्वजा लहराती रहे इसका उदघोष भी शिखर पर नया ध्वज लगाकर की जाती है।
संध्या आरती में शामिल हुए सीएम शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को भगवान महाकालेश्वर के मन्दिर पहुंचे। यहां वे भगवान महाकालेश्वर की सन्ध्या आरती में शामिल हुए।