कोई सीलिंग से, कोई रिश्वत से तो कोई शासकीय भूमि पर किए अतिक्रमण से परेशान
उज्जैन,अग्निपथ। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उज्जैन आगमन के एक दिन पूर्व भूमि से संबंधित तीन अलग-अलग मामलों को लेकर किसान मीडिया से मुखातिब हुए। इन किसानों का आरोप था कि शासकीय अधिकारियों की वजह से उनके कार्यों में कोई अडंगा लगा दिया गया है तो फिर उन्हे ठंडे बस्ते में डाल दिए गए। तीनों किसान कहीं ना कहीं शासकीय अधिकारियों की प्रताडऩा से तंग आने के बाद ही मीडिया के सामने आए हैं।
पहला मामला-उज्जैन के शहरी क्षेत्र के तीन सौ से अधिक किसानों के प्रशासन के सीलिंग खाते में नाम चढ़े होने के कारण उन्हें शासकीय सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे कई किसान मीडिया के सामने अपनी व्यथा को लेकर आए हैं। केशवराम, सुंदरलाल, द्वारकाधीश चौहान सहित कई किसानों ने प्रेस क्लब में पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सीलिंग एक्ट के तहत शहरी किसानों की एक बीघा से अधिक की कृषि भूमि को शासन हित में राजसात कर शासन के नाम खाते में चढ़ा दिया गया है। इस कारण किसान सुविधाओं का लाभ प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शासकीय सुविधाओं का लाभ जैसे खाद, बीज, सोसाइटी से कर्ज के साथ समर्थन मूल्य पर वह अपना धान नहीं बीच पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 2008 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान कहा था कि किसानों की जमीन सीलिंग मुक्त की जाएगी। परंतु आज तक किसानों की जमीन सीलिंग से मुक्त नहीं की गई है। नगरीय निकाय चुनाव के पूर्व शहरी सीलिंग की भूमि को मुक्त किया जाकर किसानों के नाम मालिक बतौर खातों में दर्ज किया जाए ताकि उन्हें सुविधा का लाभ मिल सके।
दूसरा मामला-घट्टिया तहसील से संबंधित है। मन्नू बाई पति बने सिंह बंजारा ने मीडिया के सामने आकर बताया कि पिछले कुछ महीनों पूर्व कोरोना काल के दौरान सरपंच, पटवारी और तहसीलदार ने मिलकर सन 1 999 में पट्टे पर दी गई हेक्टर भूमि पर खड़ी फसल को नष्ट कर उस पर गौशाला का निर्माण किया जा है। उन्होंने कहा है कि क्षेत्रीय पटवारी सिंगाराम वर्मा एवं तहसीलदार ने भूमि छोडऩे के एवज में दो लाख रुपए की मांग की गई थी। जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास सुरक्षित मौजूद है। उन्होंने कहा कि जब वह पैसे का इंतजाम करने में असफल रही तो सरपंच शांति बाई, तहसीलदार और पटवारी ने मिलकर उनकी जमीन पर बुलडोजर चला कर उस पर गौशाला का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने गोशाला के लिए समीप ही दो सौ बीघा भूमि शासकीय रिक्त पड़ी हुई है। उस पर निर्माण किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि वह सब दूर शिकायत लेकर पहुंची परंतु उसकी किसी ने सुनवाई नहीं की।
तीसरा मामला-तराना तहसील के कायथा गांव के बस स्टैंड के समीप का है। इस बस स्टैंड पर बरसों पूर्व लोक निर्माण विभाग ने यात्री प्रतीक्षालय बनवाया था। जिसका उपयोग काफी वर्षों से ग्रामीण कर रहे थे। कुछ दबंगों के द्वारा यात्री प्रतीक्षालय को तोडक़र दुकानों का निर्माण कर लिया है। दुकानों का निर्माण कर लिया गया है इस संबंध में राम दयाल सिंह सिसोदिया ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन को की। जिसकी जांच जनपद पंचायत सीईओ एवं राजस्व विभाग के द्वारा की गई। जिसमें स्पष्ट रूप से पाया गया कि शासकीय भूमि पर कब्जा किया गया है। इस मामले में नायब तहसीलदार न्यायालय ने अतिक्रमणकर्ता सौभाग सिंह, सौदान सिंह जाट, शांताबाई जाट एवं रणछोड़ लाल दर्जी 26 नवंबर 2020 को सभी अतिक्रमणकर्ताओं पर एक-एक हजार रुपए का जुर्माना लगाकर आगामी 15 दिनों में भूमि रिक्त करने का आदेश दिया गया था।
श्री सिसोदिया ने कहा कि डेढ़ महीना गुजर जाने के बाद भी कई बार वह एसडीएम के पास गए कि शासकीय भूमि से अतिक्रमण हटाया जाए। परंतु उन्होंने साफ मना कर दिया कि वह नहीं हटायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भू-माफियाओं के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहे हैं तो फिर इन्हें क्यों बख्शा जा रहा है।