भर्ती वार्ड में डॉक्टरो के निजी मरीजों की नही बनाई जाती है भर्ती पर्ची
सुसनेर, अग्निपथ। सिविल अस्पताल से दवाओं के वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ों के चलते अस्पताल की ओपीडी, प्रसूति वार्ड और भर्ती वार्ड में मरीजों को दी जाने वाली दवाइयों का सही तरीक से रिकार्ड नहीं है। इसी का फायदा उठाकर दवाइयों के वितरण में गड़बड़ी कर कुछ लोगो जमकर फायदा उठाते हुए सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
दरअसल, सिविल अस्पताल की ओपीडी से ही प्रतिदिन 200 के लगभग मरीजों का उपचार करते हुएं दवा का वितरण किया जाता है। इसके लिए 3 फार्मासिस्ट भी है। और 24 घंटे ही दवाई मरीजो को उपलब्ध कराए जाने का नियम है। किन्तु इसका पालन नहीं होता है। क्षेत्र के कम्प्यूनिटी हेल्थ सेंटरों का भी यही हाल है। यहां पर शासन ने जिन लोगों को कम्यूनिटी हेल्थ आफिसर नियुक्त किया है उनमें से अधिकांश अपनी ड्यूटी टाइम के बाद निजी प्रेक्टिस भी करते हैं। निजी प्रेक्टिस के दौरान शासन के द्वारा दी जाने वाली दवाईयो का इस्तेमाल करके निजी क्लीनिक पर आने वाले मरीजो से राशि की वसूली करते है।
शासन से अस्थमा और सांस के मरीजों को नि:शुल्क दिये जाने वाले इन्हेलर भी बाजार में बिक रहे हैं। साथ ही साढे 4 ग्राम के टेजोबेक्टम और पिपरासिन इंजेक्शन अस्पताल से किन-किन मरीजो को निशुल्क लगाए गए है। इसका भी लेखाजोखा नहीं है। गडबडी का आलम यहा तक है की ड्यूटी के बाद जो शासकीय चिकित्सक निजी तोर पर मरीजो का इलाज करते है। उनके भी मरीजो को वार्ड में भर्ती शुल्क की रसीद बनाए बिना ही भर्ती करके इंजेक्शन और बोतलें लगाई जाती है।
जिस वजह से गरीब वर्ग के लोगों को शासन की महत्वपूर्ण योजनाओ का लाभ नहीं मिल पाता है। भर्ती वार्ड की शुल्क रसीदे बनाने के मामले में पहले भी कई गडबडिया सामने आ चुकी है। किन्तु किसी पर भी कोई ठोस कारवाई अभी तक नहीं हुई है।
नोटिस दिये हैं
मैंने अभी चार्ज लिया है। मेरी जानकारी में आया था कि स्वास्थ्य विभाग में रिकार्ड मेंटेनेंस सही तरीके से नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर संबंधितों को नोटिस जारी कर रिकार्ड सही तरीके से मेंटेंन करने के निर्देश जारी किए है। जो भी इस सम्बंध में लापरवाही करेगा उसके खिलाफ नियमानुसार कारवाई की जाएगी। – डॉ. राजीव बरसेना, मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी, सुसनेर।