उज्जैन, अग्निपथ। कहते है कि हमारी परछाई कभी भी हमारा साथ नहीं छोड़ती, मगर साल में दो दिन ऐसे आते हैं, जब दोपहर में कुछ समय के लिए हमारी परछाई हमारा साथ छोड़ देती है। यह नजारा उज्जैन में इसलिए दिखता है,क्योकि उज्जैन के ऊपर से कर्क रेखा गुजरती है। पृथ्वी सूर्य के चारो और परिक्रमा करती है, सूर्य 22 जून को उत्तराणायन से दक्षिणायन की और प्रवेश कर रहा है, जिसके चलते सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत की स्थिति में रहता है। जिससे दोपहर में कुछ क्षण के लिए परछाई गायब हो जाती है।
खगोलीय दृष्टि से गुरुवार का दिन बड़ा महत्वपूर्ण रहा। दरसअल प्रति वर्ष 21 या 22 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत की स्थिति में रहता है जिसके कारण परछाई गायब हो जाती है। इस बार 22 जून को उज्जैन के जीवाजी वेधशाला में खगोलीय घटना देखने को मिली। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में खगोल प्रेमी वेधशाला पहुंचे थे। अधीक्षक राजेंद्र गुप्त ने बताया कि हम सभी जानते है कि पृथ्वी सूर्य के चारो और परिक्र्मा करती है, 22 जून को सूर्य उत्तरी गोलार्ध में अपने अधिकतम उत्तर स्थिति में कर्क रेखा पर लम्बवत होता है।
आज सूर्य की स्थित 23 अंश 26 कला और 16 .7 रहती है इस कारण उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होगी। 13 घंटे 34 मिनिट की रात और 10 घंटे 26 मिनट की रात है। उज्जैन कर्क रेखा के नजदीक स्थित है। परछाई पहले पूर्व की और रहती है 12.28 मिनट पर शून्य हो जाती है। इसके बाद शंकु यंत्र के माध्यम से देखा जा सकता है। आज के बाद सूर्य दक्षिण की और गति करना प्रारम्भ कर देगा जिससे उत्तरी गोलार्ध में दिन छोटे होने लगेंगे और रातें बड़ी होने लगेगी।
भूमध्य और कर्क रेखा के बीच रहने वाले लोगों की परछाई नहीं बनती
भारत में चार वेधशाला है जिसमें से एक उज्जैन में स्थित है जहाँ कालगणना के केंद्र होने के साथ ही उज्जैन से होकर गुजरी कर्क रेखा भी शामिल है दरअसल कर्क रेखा पर स्थित शंकु यंत्र पर 21 या 22 जून को 12 बजकर 28 मिनट पर पडऩे वाली सूर्य की किरण गायब ही जाती है 7 जब सूर्य भूमध्य रेखा पर आता है, तो पूरे विश्व में दिन और रात बराबर होते हैं। इस खगोलीय घटना के चलते भूमध्य रेखा और कर्क रेखा के बीच रहने वाले लोगों की दोपहर में सूर्य की रोशनी से परछाई नहीं बनती है । उज्जैन के जीवाजी वेधशाला पर कई लोगो ने इस अनोखे नज़ारे को देखा।