कालापीपल विधानसभा सीट पर भाजपा में घमासान

स्थानीय को मौका, बाहरी का विरोध

पोलायकलां, अग्निपथ। कालापीपल विधानसभा सीट से विधायक का टिकट पाने के लिए दावेदारों की होड़ लगी हुई है। वहीं स्थानीय नेता चाहते हैं कि स्थानीय उम्मीदवार घोषित किया जाए, बाहरी प्रत्याशी थोपे जाने को लेकर विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं।

पूरे प्रदेश में कालापीपल विधानसभा से ज्यादा उम्मीदवार कहीं नहीं होंगे। वर्तमान में कई ऐसे चेहरे हैं जिन्हें कभी क्षेत्र के विकास में अपना योगदान नहीं दिया। लेकिन चुनाव आते ही उनकी सक्रियता बढ़ गई और वह हवा बाजी में जनता को लुभाकर संगठन के सामने अपना दावा पेश कर रहे हैं। एक सर्वे के अनुसार कालापीपल में निर्दलीय चतुर्भुज तोमर पर सबसे ज्यादा भरोसा जताया है तो कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी सबसे नीचे पायदान पर है।

कांग्रेस की हालत अब सांप छछूंदर जैसी हो गई है। 5 साल तक हवाबाजी करने वाले विधायक कुणाल चौधरी को कार्यकर्ताओं की याद सता रही है, तो वहीं हार का डर भी सताने लगा है। इसका फायदा भाजपा को इस बार कालापीपल में मिलने वाला है। मगर प्रत्याशियों के चयन में संगठन को भी पसीना आ रहा है, किसके नाम पर मोहर लगे है यह तय कर पाना मुश्किल हो रहा है।

वही भाजपा के स्थानीय नेता बाहरी के विरोध में एक जुट होकर मुख्यमंत्री, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष एवं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर अपना पक्ष रख रहे हैं। और बाहरी को मौका ना दे इस पर जोर दे रहे हैं।

कौन है बाहरी जिनका हो रहा विरोध

वर्तमान में कालापीपल विधानसभा सीट में भाजपा से लगभग 15 दावेदार हैं। मगर सबसे ज्यादा विरोध घनश्याम चंद्रवंशी का हो रहा है। वे सलकनपुर जिला सीहोर में रहते हैं। अचानक प्रकट हुए घनश्याम चंद्रवंशी कट्टर सोच के साथ क्षेत्र में हिंदू मुस्लिम का एजेंडा लेकर मैदान में उतरना चाहते हैं। रुद्राक्ष बांटकर पार्थिव शिवलिंग निर्माण कर वह जनता के बीच अपनी जगह बनाकर कालापीपल से अपनी दावेदारी कर रहे हैं तो वही मंच से घनश्याम चंद्रवंशी को सबसे ज्यादा वोटो से जीतने वाला प्रत्याशी बता रहे हैं।

नंबर दो पर आते हैं सुरेश आर्य जो देवास जिले की खरेली ग्राम के रहने वाले हैं और चुनावी समर आते ही वह क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं। चुनाव बाद कहीं नजर नहीं आते, न ही उनका इस क्षेत्र में कोई जन आधार है। तीसरे नंबर पर देवास के विक्रम सिंह पवार हैं। उनकी माता गायत्रीराजे पवार देवास से विधायक हैं। आसपास कहीं भी ऐसी जगह नहीं थी जहां से विक्रम चुनाव लड़ सके और उन्होंने कालापीपल से अपनी राजनीतिक शुरुआत करने का मन बनाया। इससे पहले कभी उन्होंने कालापीपल क्षेत्र देखा ही नहीं था। भारी दम खम के साथ क्षेत्र में उन्होंने अपना प्रवेश किया।

कालापीपल के 25 स्थानीय नेताओं द्वारा स्थानीय को मौका देने और बाहरी को बाहर करने का आवेदन दिया। जिसमें फूलसिंह मेवाडा पूर्व विधायक कालापीपल, बाबूलाल वर्मा पूर्व विधायक कालापीपल पंकज जोशी प्रदेश उपाध्यक्ष भारतीय युवा मोर्चा और अशोक कविश्नर विधानसभा संयोजक कालापीपल लोकेंद्र खेजडिया जिला पंचायत उपाध्यक्ष राकेश रामबाबू पाटीदार जिला पंचायत सदस्य नवीन शिंदे जिला पंचायत सदस्य मुरारीलाल पटेल जिला पंचायत सदस्य भाजपा जया नरेंद्र रामचंद्र वर्मा संयोजक बुनकर संस्था प्रकोष्ठ जिला शाजापुर कैलाश पटेल जिला अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग मोर्चा शाजापुर राकेश वर्मा संयोजक व्यापारिक प्रकोष्ठ लखन लाल चंद्रवंशी पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष एवं वर्तमान पार्षद वार्ड नंबर 7 नगर परिषद पोलाय कला बिणा दामोदर महेश्वरी पूर्व जिला अध्यक्ष महिला मोर्चा एवं उषा पालीवाल पूर्व जिला मंत्री उपरोक्त सभी स्थानीय नेताओं द्वारा कालापीपल में बाहरी का विरोध कर किसी स्थानीय नेता को टिकट देने का आवेदन दिया है।

इस बार कालापीपल में कांग्रेस की हालत कमजोर है। तो भाजपा हर हाल में कालापीपल में कमल खिलाना चाहती है। और यही कारण है की कालापीपल में प्रदेश में सबसे अधिक प्रत्याशी इस विधानसभा में भाजपा से दावेदारी कर रहे है। देखना दिलचस्प है की हाई कमान का फैसला क्या रहता है।

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