महाकाल महालोक अभी भी अधूरा

महाकाल विस्तारीकरण सेकंड फेज के कामों के लोकार्पण का एक माह पूरा

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल महालोक को भव्यता प्रदान के लिए शुरू किये गये सेकंड फेज के कामों का लोकार्पण तो ताबड़़तोड़ तो कर दिया गया, लेकिन इन कामों के हाल और बेहाल हैं। सरकार ने लोकार्पण कर श्रेय लूट लिया, अधिकारी चुनाव में व्यस्त हैं और लोकार्पण के एक महीने के बाद भी निर्माण कार्य के हाल बेहाल है। कई बार डेडलाइन तय होने के बाद भी कोई नहीं बता सकता कि यह काम कब पूरे होंगे।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने महाकाल महालोक के सेकंड फेज के निर्माण कार्यों का 5 अक्टूबर को लोकार्पण किया था। चुनाव की आचार संहिता किसी भी वक्त लग सकती थी। ऐसे में 242.35 करोड़ रुपए के निर्माण कार्यों की सौगात का श्रेय लूटने की जल्दबाजी में अधूरे निर्माण कार्यों का ही लोकार्पण कर दिया गया।

लोकार्पण के बाद हालात यह हैं कि महाकाल महालोक के 47 हेक्टेेयर एरिया में जिन कामों का लोकार्पण किया था, वे अब भी अधूरे हैं। लोकार्पण के वक्त अधूरा काम लाल कालीन से ढांकने में जुटे अधिकारी अब चुनाव में व्यस्त हो गये हैं। निर्माणकर्ता एजेंसी डेडलाइन तय होने के बाद भी निश्चिंत होकर कछुआ गति से काम में लगी है और महाकाल मंदिर आने वाले दर्शनार्थी इन अधूरे निर्माण कार्यों के कारण परेशानी भोग रहे हैं।

दो माह में तैयार होने वाली महाकाल टनल पांच माह बाद भी अधूरी है।

लोकार्पित सौगातों में धीमी गति से चल रहा काम

श्री महाकालेश्वर अन्नक्षेत्र – करोड़ों रुपए की लागत से बने अन्नक्षेत्र भवन के लोकार्पण के वक्त दावा किया गया था कि यहां एक दिन में एक लाख लोगों को भोजन करवाया जा सकता है। सच्चाई यह है कि इस आंकड़े को छू पाना संभव नहीं है। भोजन निर्माण में उपयोगी अत्याधुनिक मशीनें अभी तक इंस्टाल भी नहीं हो पाई है। वर्तमान में उतने ही लोग भोजन कर पा रहे हैं जितने पुराने भवन में करते थे।

नीलकंठ क्षेत्र – 72.94 करोड़ रुपए से यहां नीलकंठ द्वार, नीलकंठ वन, नीलकंठ मार्ग, भूमिगत/भूतल पार्किंग, अवंतिका हाट, प्रसादम, शिशु मंदिर मार्ग आदि काम किये जाना है। यह क्षेत्र बेगमबाग से भारत माता मंदिर तक का है। यहां नीलकंठ द्वार, नीलकंठ वन, हॉकर्स जोन, 500 वाहनों की पार्किंग का लोकार्पण किया गया। वर्तमान में यहां निर्माण कार्य चल रहा है जिस कारण इस महत्वपूर्ण मार्ग का दर्शनार्थी उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।

शक्तिपथ – 56.17 करोड़ रुपए के लागत के शक्तिपथ का सिर्फ एक ओर का हिस्सा ही बना है। श्री महाकालेश्वर अन्नक्षेत्र से शुरू होकर शक्तिपथ चारधाम चौराहे और वहां से हरसिद्धि माता चौराहा और नृसिह घाट तक पहुंचता है। यह मार्ग भी अधूरा है।

सिद्धी विनायक पथ-चौबीस खंबा माता मंदिर से बड़ा गणेश मंदिर तब बनने वाले इस मार्ग का काम भी निर्माणााधीन है। जगह- जगह निर्माण सामग्री फैली हुई है।
महाराजवाड़ा परिसर व छोटा रुद्रसागर क्षेत्र – इन दोनों के विकास की योजना 57.07 करोड़ रुपए की है। जिसके तहत महाराजवाड़ा परिसर का कायाकल्प करने के साथ ही उसका हेरिटेज होटल के रूप में परिवर्तन, छोटा रूद्र सागर का लेकफ्रंट, मुक्ताकाशी मंच, अनुभूति वन, ध्यान कुटिया, तपोवन, चिंतनवन आदि निर्माण किये जना है। यह सभी काम अधूरे हैं।

शिखर दर्शन – श्री महाकालेश्वर के शिखर दर्शन के लिए 47.83 करोड़ रुपए से श्री महाकालेश्वर शिखर दर्शन एवं आंतरिक परिसर विकास की योजना है। वर्तमान में शिखर दर्शन में पत्थर लगाए जा रहे हैं जबकि आंतरिक विकास कार्य का प्लास्तर हो रहा है। धीमी गति के कारण इसका लाभ भी दर्शनार्थियों को नहीं मिल रहा है।

महाकाल महालोक सेकंड फेज के ये काम भी अधूरे

रामघाट का सौंदर्यीकरण 20.79 करोड़, सीसीटीवी निगरानी और एक्सप्रेस नियंत्रण प्रणाली 7.08 करोड़, पुलिस थाना और पुलिस क्वार्टर का विस्थापन 3.80 करोड़, हरिफाटक मेघदूत वन पार्किंग 11.09 करोड़, त्रिवेणी संग्रहालय का विस्तार 9.50 करोड़, महाकाल मंदिर से महाराजवाड़ा परिसर सम्मिलन 20 करोड़, लेजर एवं वाटर स्क्रीन शो 32.50 करोड़, महाकाल मंदिर स्थित स्टैच्यू, प्लांट का संरक्षण 2 करोड़, रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक रोपवे 209 करोड़, रूद्रसागर पर पैदल पुल 25.22 करोड़, अन्य सडक़ का विकास 116.96 करोड़ रुपए।

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