महाकालेश्वर मंदिर में कब शुरू होगा हार-फूल और प्रसाद चढऩा, प्रवेश द्वारों पर ही रख लेते हैं श्रद्धालुओं का लाया प्रसाद

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में कोरोना संक्रमण कम होने के दौर में भी हारफूल ले जाने और चिरोंजी प्रसाद चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। ऐसे में श्रद्धालु अपने जेब से पैसे खर्च कर प्रसाद खरीद कर भगवान महाकाल को चढ़ाने के लिए ले जा रहा है। लेकिन उसका प्रसाद प्रवेश द्वारों के अंदर नहीं जाने दिया जाता। श्रद्धालु को इससे आर्थिक हानि उठाना पड़ रही है।

महाकालेश्वर मंदिर में लॉकडाउन के बाद से ही हारफूल भगवान को श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए जाने और चिरोंजी प्रसाद को अंदर ले जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। नौ महीने से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन इनको शुरू करने की कवायद जिला प्रशासन द्वारा नहीं की गई है। श्रद्धालु हारफूल तो नहीं लेकिन शंख के सामने स्थित हारफूल दुकानों और वीआईपी गेट के सामने की हारफूल दुकानों से प्रसादी खरीद कर अपने साथ ले जा रहे हैं।

उनका उद्देश्य भगवान को प्रसाद चढ़ाने का है। लेकिन शंख द्वार और वीआईपी गेट पर उनके खरीदे गए प्रसाद को मंदिर के कर्मचारियों द्वारा बाहर की रखवा लिया जाता है। कुछ श्रद्धालु तो इनको वापस लेने नहीं आते, लेकिन जो आते हैं वे अपना नहीं दूसरे का प्रसाद अपने साथ ले जाते हैं। बाकी बचा हुआ प्रसाद कहीं जाता है। इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं है।

छोटा 50, बड़ा 100 रुपए

हारफूल वालों द्वारा छोटा चिरोंजी प्रसाद का पैकेट 50 रुपए तो बड़ा पैकेट 100 रुपए में दिया जा रहा है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि भगवान महाकाल को प्रसाद नहीं चढ़ेगा। ऐसे में अज्ञानता वश वे दो से तीन पैकेट तक खरीद कर मंदिर के अंदर ले जाने का प्रयास करते हैं। लेकिन बाद में उनको पता चलता है कि प्रसाद नहीं चढ़ेगा तो अपने को ठगा सा महसूस करते हैं।

सूचना बोर्ड के पते नहीं

मंदिर के अंदर और बाहर कहीं पर भी इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि मंदिर के हारफूल और प्रसाद पर प्रतिबंध लगा हुआ है। हालांकि स्मार्ट सिटी का काम शुरू होने से पहले वीआईपी गेट पर बड़ा सा होर्डिंग लगाया गया था, लेकिन नया गेट शुरू होने से यह भी लापता हो गया है। हारफूल दुकानदारों को भी इस बात की हिदायत नहीं दी गई है कि वे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद प्रदाय न करें। लेकिन इस तरह की जहमत मंदिर प्रशासन ने नहीं उठाई है। जिसके चलते श्रद्धालुओं की आस्था प्रभावित हो रही है और मंदिर की गलत छवि लेकर वे यहां से जा रहे हैं।

प्रसाद सामग्री बेचकर पाल रहे पेट

वीआईपी गेट के बाहर प्रसाद बेचने वाली लक्ष्मी गेहलोत का कहना है कि हारफूल पर तो प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन प्रसाद पर भी प्रतिबंध अभी तक लगा है। जबकि मंदिर प्रशासन खुद लड्डू प्रसाद विक्रय कर रहा है। लेकिन उनको रोका जा रहा है। इस तरह की दो तरह के नियम पालकर मंदिर प्रशासन हमारी रोजीरोटी से खिलवाड़ कर रहा है। विगत 9 महीने से वे बेरोजगार होकर बैठे हैं। उनकी सुध भी मंदिर प्रशासन को लेना चाहिए। उनको प्राधिकरण द्वारा स्मार्ट सिटी योजना में बनाई गईं दुकानों में जगह देना चाहिए।

Next Post

देश में कोरोना का 1 साल पूरा: टॉप- 15 संक्रमित देशों की सूची से बाहर हुआ भारत

Sat Jan 30 , 2021
नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी की शुरुआत हुए एक साल पूरे हो गए हैं। पिछले साल 30‌ जनवरी के दिन ही केरल में पहला कोरोना संक्रमित मरीज मिला था। तब से अब तक 1 करोड़ 7 लाख 34 हजार 26 लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं। […]