महिदपुर, अग्निपथ। सन् 1817 के अंग्रेजों और मराठा के बीच यहां हुए युद्ध को 207 वर्ष पूर्ण होने पर बुधवार को गोपाल गोशाला में शहीद दिवस मनाया गया। इसमें वीर सपूतों व वीरांगनाओं के वीरता के चरित्र सुनकर अतिथि रोमांचित हो गए। वीर शहीदों की भूमि को नमन कर अतिथियों के साथ रहवासी भी अपने आपको गर्वित महसूस कर रहे थे।
कार्यक्रम की शुरूआत में गऊघाट स्थित तुलसाबाई जी की समाधि व किला स्थित दिल्ली दरवाजा पर पुष्पांजली दी गई। पश्चात विजय स्तंभ पर शहीदों को पुष्पांजली, गार्ड ऑफ ऑनर तथा दो मिनिट का मौन रखा गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पाणिनी संस्कृत वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति सीजे विजयकुमार मेनन ने कहा कि हमारी भूमि वीरों की भूमि है। हमारी पंरपरा में वीरों का सम्मान करना, आदर करना व उनके मार्ग व विचारों को अपनाना है। आज का समय ज्ञान की वीरता का है। आगे आने वाली परंपरा ज्ञान की रहेगी। जो भविष्य को निर्धारित करेगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में इतिहासकार व अंतराष्ट्रीय कवि दिनेश दिग्गज ने कहा कि हमारे क्रांतिकारी व वीर सपूत यदि नहीं होते तो आज का दौर कुछ और होता। इसलिए हमारा दायित्व है वीरों के बलिदानों को याद रखें। हमने इतना ही कर लिया तो वह भी राष्ट्रसेवा से कम नहीं होगा। अध्यक्षता कर रहे अश्विनी शोध संस्थान महिदपुर के अध्यक्ष डॉ. आरसी ठाकुर ने प्राचीन इतिहास के अनछुए पहलुओं से अवगत कराया।
साथ ही प्रशासन व नपा परिषद से क्षेत्र के इतिहास को जिंदा रखने स्मारक पटल बनाने का अनुरोध किया। विशिष्ट अतिथि भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुरसिंह चौहान ने आयोजन के महत्व के बारे में बताया। विशेष अतिथि नपा अध्यक्ष नानीबाई ओमप्रकाश माली थीं। स्वागत भाषण डॉ. रमण सोलंकी ने दिया। अतिथि स्वागत एसडीएम बृजेश सक्सेना, तहसीलदार नवीन कुंभकार, सीएमओ सीएस सोनिस, उपयंत्री निधि पटेल, उमा पांडे, आशा राठौड आदि ने किया।
इन्हें किया पुरस्कृत
कार्यक्रम में डॉ श्यामसुंदर निगम स्मृति पुरस्कार शंखोद्वार के अध्यक्ष राजेशसिंह कुशवाह को प्रदान किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन प्रशांत पौराणिक ने किया। राजा भोज कल्याण सेवा समिति रतलाम के अध्यक्ष नरेंद्रसिंह पंवार को भी लेखन के लिए सम्मानित किया गया। वही अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए। इस अवसर पर एनसीसी कैडेट्स, शासकीय कन्या महाविद्यालय उज्जैन की छात्राएं, गणमान्य जन, नपा कर्मचारी मौजूद थे। संचालन डॉ. अजय शर्मा ने किया। आभार वरिष्ठ पत्रकार शांतिलाल छजलानी ने माना।