दोपहर 4 बजे ऑनलाइन दर्शन अनुमति खत्म, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

अधिकारी भी मानते हैं संडे इज हॉलीडे, कोई देखने वाला नहीं

उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। तिल चतुर्थी होने से श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को उमड़ते रहे। दोपहर 4 बजे के लगभग ऑनलाइन दर्शन अनुमति फुल हो गई थी। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि श्रद्धालुओं को भगवान भरोसे छोडक़र मंदिर के अधिकांश अधिकारी अपने घर पर आराम फरमा रहे थे।
25 दिसम्बर से मंदिर में श्रद्धालुओं का आगमन तेज हो गया है। अवकाश के दिनों में तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु छुट्टी होने का फायदा उठाने के लिए देवदर्शन के लिए आते हैं। इनमें बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक रहती है। इस रविवार को भी सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही लगी रही। स्थिति यह रही कि दोपहर 4 बजे तक सभी 28 हजार ऑनलाइन दर्शन अनुमति फुल हो गई थी। शंख द्वार, वीआईपी गेट सहित मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं का सैलाब देखा जा रहा था।

रविवार को फरमाते हैं आराम

मंदिर केवल भगवान महाकाल के भरोसे चल रहा है। सुबह से लेकर शाम तक मंदिर में कहीं पर भी अधिकारियों के दर्शन नहीं होते हैं। नंदीहाल, मंदिर प्रांगण, शंख द्वार आदि जगहों पर जहां अधिकारी नजर आना चाहिए, वहां नजर आते नहीं। आते भी हैं तो भगवान महाकाल के दर्शन कर चले जाते हैं। व्यवस्था बनाने के लिए मंदिर में कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं रहता है। कुछ शासकीय अधिकारियों की ड्यूटी भी मंदिर में लगी हुई है, उनके दर्शन अवश्य ही हो जाते हैं। लेकिन रिटायर अधिकारी तो व्यवस्था देखने की जगह मंदिर से अधिकतर नदारद रहते हैं। उनके कभी कभार दर्शन अवश्य हो जाते हैं, जब मंदिर का राउंड लेने के लिए वरिष्ठ अधिकारी मंदिर पहुंचते हैं।

सुरक्षा प्रभारी को लेना देना नहीं

मंदिर के सुरक्षा प्रभारी दिलीप बामनिया ने जब से मंदिर का प्रभार संभाला है। तब से उनके दर्शन भी यदा कदा ही होते हैं। उनकी ढुलमुल कार्यशैली से व्यवस्था प्रभावित हो रही है। मंदिर में सुबह जब श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है, तब उनको यहां पर उपस्थित रहना चाहिए। लेकिन वह दोपहर 2 बजे के बाद मंदिर में आगमन करते हैं, जब भीड़ छंट जाती है। व्यवस्था के नाम पर उनके द्वारा ऐसा कोई काम नहीं किया जा रहा है, जोकि मंदिर हित में हो।

पूर्व सुरक्षा प्रभारी रूबी यादव इस मामले में काफी तेज थीं। भले से ही उनका मंदिर में विरोध हुआ हो, लेकिन उनकी कार्यशैली काफी तेज थी। रविवार का दिन होने से मंदिर में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ था, ऐसे में सुरक्षा प्रभारी को अपना दायित्व निभाते हुए उनकी जमा भीड़ को बाहर निकलवाना चाहिए था। कोरोना बीमारी पूरी तरह से अभी तक दम नहीं तोड़ चुकी है। ऐसे में उनका दायित्व बनता है कि वह मंदिर में रहकर भीड़ को बाहर निकलवाने का काम करें।

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