यात्रा वृत्तांत: देवभूमि जायें तो ‘हिमाचली धाम’ भोजन का आनंद लेना ना भूलिये

  • अर्जुन सिंह चंदेल

देखा जाए तो कसौली मीट का सबसे ज्यादा आनंद ग्रुप की महिलाओं ने ही चाहे मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मामला हो या फिर बस में अंताक्षरी का। सुबह से बस यात्रा के कारण चेहरों पर थकान झलकने लगी थी, पर शाम को लोहड़ी उत्सव का आनंद भी लेना था, इसलिये थकान के बावजूद सभी उत्साहित भी थे। बस होटल पहुँच गयी सभी अपने-अपने कमरों में चले गये।

पुरुष साथी तो आराम करने लगे महिलायें सजने-संवरने में लग गयी। शाम को 7 बजे के आसपास सभी कार्यक्रम स्थल पर पहुँच गये। देश के विभिन्न स्थानों से जी.डी.एस. के साथियों द्वारा लाये गये व्यंजन सजाये गये थे प्रदर्शनी की तरह। उसमें झारखंड के अनारसे भी थे तो मथुरा का मोहन थाल और ताल बेहट की गुजिया, जयपुर की मिठाई तो उज्जैन के जैन नमकीन का चिवड़ा का सभी ने आनंद लिया।

लोहड़ी की पूजा प्रारंभ की गयी। अपने राम का तो पहला अनुभव था। माँ सरस्वती का उपासक हूँ थोड़ा लिख-बोल लेता हूँ पर नाचने में जीरो। ढोल बजने लगा, पंजाबी धुन पर पाँव थिरकने लगे, अग्नि की पूजा की गयी चावल-कंकू से। नर-नारी अग्नि के चारों ओर नृत्य करने लगे ढोल की थाप पर। ग्रुप की महिलायें पूरे आनंद के साथ सज-धज कर आयी थी ऐसा लग रहा था सीधे ब्यूटी पार्लर से चली आयी हो।

होटल द चाबल का पूरा वातावरण एक शादी के घर जैसा हो चला था। सभी मस्ती में डूब रहे थे। उत्तर प्रदेश के ताल बेहट से आये प्रमोद बबेले जी सभी के आकर्षण का केन्द्र बने हुए थे। बताया गया कि वह घुमक्कड़ों के भीष्म पितामह है। मंच पर एडमिन संजय जी, संदीप भाई, पंकज जी, कुलदीपक जी सारी व्यवस्थायें चाक-चौबंद करने में लगे हुए थे। अपनी-अपनी प्रतिभा दिखाने का वक्त आ चुका था।

उज्जैन की टीम के गोविन्दा (गोपाल यादव) ने डॉस प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन कर धूम मचा दी तो साथी प्रताप यादव ने भी गाना गाकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। भिलाई से आयी सोनाली मेम ने बिना म्यूजिक के ग्रेट गेम्बलर फिल्म का दो लफ्जों की ही गाना सुनाकर दिल जीत लिया, जयपुर से आयी एक बहन ने ओ मेरी जोहरा जबी गाने पर सुंदर प्रस्तुति दी। मजा आ गया देखने-सुनने में। रांची की श्वेता चंचल ने भी डॉस किया। रात गहराने लगी थी सुबह सभी को एक-दूसरे से बिछुडऩा था फिर मिलने के वायदे के साथ और अपने-अपने घोंसलों में लौट जाना था। कुलदीपक जी ने रात्रि में विशेष हिमाचली भोज की व्यवस्था की थी जिसे वहाँ ‘हिमाचली धाम’ कहा जाता है।

हम तो रोमांचित थे उस खाने के स्वाद को लेकर। भोजन शाला में थाली में चावल दिये गये फिर क्रम से एक के बाद एक अलग-अलग तरह की दाल सब्जियां परोसी गयी, जिन्हें चावल के साथ सिलसिलेवार खाना था यदि क्रम गड़बड़ कर दिया तो ‘हिमाचल धाम’ के स्वाद का कबाड़ा तय मानिये। मैंने तो खूब आनंद किया पर कुछ भाइयों को समझ नहीं आया उन्होंने जैसे-तैसे पेट पूजा की।

रात का नजारा अदभुत हो चला था। भोजन के बाद सभी लोग आपस में देर रात बतियाते रहे क्योंकि इस मीट की कसौली में आज आखिरी रात थी। रात को सोने में करीब 12-1 बज गये उज्जैन की टीम की दिन में 2 बजे धरमपुर से शिमला जाने के लिये ट्राय ट्रेन से आरक्षण था, इसलिये सुबह जल्दी उठने का झमेला नहीं था। सुबह नाश्ता करके सभी को निकलना था।

(शेष कल)

Next Post

महाकाल का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर अश्लील सामग्री पोस्ट की

Mon Jan 29 , 2024
भक्त ने देख महाकाल कंट्रोल रूम को दी सूचना, पुलिस ने मामला दर्ज किया उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर की सोशल मीडिया के फेसबुक साइट पर महाकाल मंदिर के नाम से फर्जी अकाउंट बनाकर उस पर अश्लील सामग्री डालने का मामला सामने आया है। मामले के संज्ञान में आने के बाद […]