रंगमंच बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहयोगी, बचपन ही सीखने का श्रेष्ठ समय- जोशी

बालनाट्य शिविर का समापन

उज्जैन, अग्निपथ। बचपन से ही यदि बच्चों को सही दिशा और मार्गदर्शन मिल जाए तो वे अपने जीवन में बहुत कुछ अच्छा कार्य कर सकते हैं। बचपन ही सीखने का श्रेष्ठ समय है।

यह बात संस्कार भारती के अखिल भारतीय नाट्य विधा सहसंयोजक श्रीपाद जोशी ने बालमंच और परिष्कृति के बालनाट्य शिविर के समापन अवसर पर कही। इस अवसर पर संस्कार भारती मालवा प्रांत के महामंत्री संजय शर्मा ने कहा कि बालमंच पिछले 40 सालों से बच्चों को इस तरह के प्रशिक्षण दे रहा है।

उज्जैन के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ अनिल दुबे ने कहा कि सतीश दवे और उनकी टीम बच्चों की प्रतिभा को उजागर करने लिए बहुत मेहनत करती हैं। प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री और समाजसेविका साधना दुबे ने बच्चो के अभिनय और अन्य प्रस्तुतियों की बहुत प्रशंसा करते हुए कहा कि बच्चों को इतने कम समय में इतना अच्छा सीखाना बहुत ही प्रशंसनीय है।

सतीश दवे ने अभिभावकों का आभार मानते हुए कहा कि रंगमंच के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास आसानी से होता है। आपने अपनी टीम की कडी़ मेहनत के कारण बहुत कम समय में तैयार हुई प्रस्तुतियों की सराहना की। बाल मंच और परिष्कृति सामाजिक सांस्कृतिक संस्था उज्जैन के द्वारा आयोजित बाल नाट्य प्रशिक्षण शिविर जो 1 मई से 31 मई तक चल रहा था इसका समापन 2 जून रविवार की शाम 7 बजे कालीबाड़ी मंदिर विवेकानंद कॉलोनी में हुआ।

“जहाँ चाह वहाँ राह” की प्रस्तुति

समापन समारोह में बच्चों ने सर्वधर्म प्रार्थना और ज्योति की आराधना पर मोहक नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद जीवन में अपने कर्त्तव्य के प्रति निष्ठावान की प्रेरणा देने वाले नाटक “जहाँ चाह वहाँ राह” (लेखक निर्देशक हर्षित शर्मा) की लुभावनी प्रस्तुति हुई। फिर बच्चों ने अपने राष्ट्र की आराधना के महत्व को दर्शाने वाला गीत प्रस्तुत किया।

पर्यावरण का संदेश देने वाले नाटक चतुर खरगोश (लेखक निर्देशक अंशुल पटेल) में बच्चों ने खुलकर अच्छा अभिनय भी किया और बाद में दर्शकों को पौधे भी बांटे। बच्चों की अखाड़े की प्रस्तुति दर्शकों को बहुत पसंद आयी। प्रशांत राजपूत के निर्देशन में वंदेमातरम् नृत्य प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम का नृत्य के साथ लुभावना संचालन विधि वर्मा-अवनि श्रीवास एवं दुर्गेश सूर्यवंशी ने किया। शिविर में बच्चों को ओरीगेमी का प्रशिक्षण सुदर्शन स्वामी ने दिया।

बच्चों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। शिविर में मोहन सिंह तोमर ने संगीत का और शिरीष सत्यप्रेमी ने अखाड़े का प्रशिक्षण दिया। इस शिविर का संयोजन मधु लालवानी ने किया। इसमें सहयोगी आयुष शर्मा, राजवीर ठाकुर, ऋषि वर्मा, दिशा गोरे, हार्दिक वाजपेयी, शशिधर, याशिका, यश, आयुष और प्रियांशु रहे। आलोकन रौनक वर्मा ने किया।

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