महाकाल सवारी में आदिवासी समुदाय के नृत्य ने बांधा समां

भजन मंडली ने भी रंग जमाया

उज्जैन, अग्निपथ। भगवान महाकाल की सवारी में पहली बार आदिवासी समुदाय के कलाकार भी नृत्य करते हुए शामिल हुए। इनके नृत्य ने सवारी में चार चांद लगा दिये। स्थानीय कलाकार और भजन मंडली ने भी सवारी में भक्ति भावना का रंग जमा दिया।

इन लोगों का मनमोहक नृत्य देखकर दर्शनार्थी भाव विभोर हो गये। धार जिले के जनजातीय कलाकारों ने श्री अजय सिसौदिया के नेतृत्व में भील भगोरिया नृत्य के माध्यम से श्रद्धालुओं का मन मोहा। जनजातीय कलाकारों द्वारा ढोलकिया, पिप्री, मांदल आदि वाद्ययंत्रों के साथ आकर्षक नृत्य की प्रस्तुतियां दी गई।

आम तौर पर इन्हें भगोरिया जैसे उत्सवी माहौल में नृत्य करने के लिए जाना जाता है, लेकिन यह पहला मौका है जब इन्होंने धार्मिक मौकों पर भी अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन किया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर सवारी में पहली बार आदिवासी नृत्य कलाकारों को भगवान महाकाल की सवारी में शामिल किया गया है। उन्हें विशेष रूप से धार और झाबुआ जिले से आमंत्रित किया गया था। अपने संदेश में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन और स्वागत के लिए जनजातीय इलाकों से भी श्रद्धालु पहुंचे हैं।

सवारी के अवसर पर धार, झाबुआ और अन्य जिलों के जनजातीय समाज के बंधु भी भागीदारी करने के लिए शामिल हुए हैं। आगे भी अन्य जिलों से जनजातीय समाज के भाई-बहन सवारी में शामिल होंगे।

भजन मंडलियों ने भी रंग जमाया

सवारी में कई भजन मंडलियां भी शामिल हुई थीं। श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी में हजारों भक्त झांझ, मंजीरे, डमरू, ढोल आदि वाद्य बजाते हुए महाकाल की आराधना करते हुए पालकी के साथ उत्साहपूर्वक चले। इनमें शामिल महाकाल भक्त युवा और महिलाओं की टोली भी सवारी के दौरान भक्ति भाव के माहौल को ऊंचाई पहुंचा रहे थे।

सवारी में शामिल स्थानीय कलाकारों ने भी सवारी में रंग जमाया। भजन मण्डलियों में सैंकड़ों महिलाओं ने शिव स्तुतियां की। बच्चे उत्साहपूर्वक डमरू और मजीरे बजाते हुए सवारी में आगे-आगे चले। श्री महाकालेश्वर की सवारी महाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी, होते हुए रामघाट पहुंची।

रामघाट से पुन: सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती समाज मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होती हुई श्री महाकालेश्वर मन्दिर में वापस पहुंची।

ये मंडलियां थी शामिल

सवारी में भस्मरमैया भक्त मण्डल, जय महाकाल भक्त मण्डल, भस्म आरती भक्त मण्डल उज्जैन, श्री महाकाल शयन आरती भक्त मण्डल, श्री चैतन्य भैरव सांस्कृतिक भजन मण्डली, श्री हिन्दू सेना भक्त मण्डल, वीर तेजाजी भजन मण्डल नीलगंगा, जय महाकाल रामायण प्रचार झांझ मण्डली एवं श्री नागचंद्रेश्वर भक्त मण्डल द्वारा सुमधुर भजनों की प्रस्तुतियों से श्रद्धालु झूम उठे।

चलित रथ के माध्यम से श्रद्धालुओं ने किये दर्शन

भगवान महाकाल के सुगमतापूर्वक दर्शन के लिये श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति द्वारा चलित रथ की व्यवस्था की गई, जिसके दोनों ओर एलईडी के माध्यम से सवारी का लाईव प्रसारण किया गया। जिससे श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन लाभ लिये। श्री महाकालेश्वर भगवान की दूसरी सवारी 29 जुलाई सोमवार को निकलेगी।

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