21 फरवरी 2021 की रात्रि को टीवी पर जब इंडियन आइडल-12 में दर्शकों ने फिल्मी दुनिया में अनेक फिल्मों में गीत लिखने वाले मशहूर गीतकार 81 वर्षीय संतोष आनंद को जिस बेबसी और लाचारी भरी जिंदगी में देखा उससे करोड़ों भारतीय फफक-फफक कर रोने पर मजबूर हो गये। शायद ऐसी कोई आँख नहीं होगी जो नम ना हुई हो।
एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है…., मैं ना भूलूँगा.., मोहब्बत है क्या चीज,,, जैसे अमीर गीतों के रचयिता को जब दर्शकों ने व्हील चेयर पर बैठा देखा तो विश्वास नहीं हुआ कि फिल्मी दुनिया का यह वहीं गीतकार है जो कई बार फिल्म फेयर अवार्ड से नवाजा जा चुका है। पक्षाघात से पीडि़त और चार-चार बार पैरों में फ्रेक्चर के बावजूद जीने की तमन्ना रखने वाले संतोष आनंद बेबस नजर आये। अपनी आपबीती सुनाते हुए वह रो भी पड़े।
वर्तमान में पैसों के लिये मोहताज संतोष आनंद ने बताया कि शारीरिक रूप से अपंगता के साथ वह आर्थिक रूप से भी परेशान हैं। उनके पास होटल का बिल और हवाई जहाज की यात्रा के लिये भी पैसे नहीं है, वह इस स्थिति में काम करने को तैयार है। चमक दमक से जगमग फिल्मी दुनिया के किसी फनकार का उत्तरार्ध ऐसा भी हो सकता है? शायद यह कल्पना किसी के भी दिमाग में नहीं होगी।
गीतकार संतोष आनंद का जन्म बुलंदशहर के सिकंदराबाद में हुआ था उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत पूरब और पश्चिम फिल्म से की थी। मनोज कुमार की सारी फिल्मों के गीत लिखने वाले संतोष आनंद हैं। 1972 में फिल्म शोर में उनके द्वारा रचित गाने ‘एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है’ ने पूरे देश में धूम मचा दी। फिल्म रोटी, कपड़ा और मकान में उनके द्वारा लिखे गाने मैं ना भूलूँगा को बेस्ट लिरिसिस्ट के लिये फिल्म फेयर अवार्ड मिल चुका है। प्यासा सावन फिल्म के गीत भी संतोष आनंद जी ने ही लिखे हैं। फिल्म प्रेम रोग के गाने ‘मोहब्बत है क्या चीज’ के लिये भी संतोष आनंद जी को फिल्म फेयर अवार्ड मिल चुका है जो अंतिम था।
एक अच्छी जिंदगी कब तबाह होकर बोझ में बदल जाती है यह संतोष आनंद जी की जिंदगी से समझा जा सकता है। संतोष आनंद जी को उनकी शादी के 10 वर्षों बाद पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी जिसका नाम उन्होंने संकल्प आनंद रखा था। संकल्प मेधावी छात्र था।
वह शिक्षित होकर लेक्चरर बन गया और गृह मंत्रालय के अधीन लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्नात्तोकोत्तर कॉलेज में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को अपराध शास्त्र, समाज शास्त्र, फॉरेन्सिक विज्ञान पढ़ाता था। इस दौरान संस्थान द्वारा उसे 250 करोड़ के एक प्रोजेक्ट का प्रस्ताव दिया गया और इस हेतु उसे प्रोजेक्ट की 1 प्रतिशत राशि अर्थात 2.5 करोड़ जमा कराने को कहा गया।
बस उसी ढ़ाई करोड़ की राशि की जुगाड़ में वह दलदल में फँसता गया। कर्जा देने वालों ने उसका जीना दूभर कर दिया। 1 जनवरी 2014 से 30 मई 2014 तक लगभग 600 लोग उससे मिलने आये जिस पर प्रबंधन ने आपत्ति ली और उसे मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने का नोटिस दे दिया।
मानसिक रूप से परेशान संकल्प आनंद ने अपनी पत्नी नरेश नंदिनी, 5 वर्षीय बेटी रिदिमा को साथ लेकर कोसीकंला के पास आगरा-दिल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस के सामने कूद गये जिसमें संकल्प आनंद और उनकी पत्नी नंदिनी की तो मौत हो गई परंतु 5 वर्षीय बेटी रिदिमा ट्रेक के बीच में आ जाने से बच गई।
संकल्प ने आत्महत्या के पूर्व आठ पन्नों का पत्र भी लिखा जिसमें उनकी मौत के लिये 25 लोगों को जिम्मेदार ठहराया था। बताया जाता है कि किसी आर्किटेक्ट की पत्नी सपना ने उन पर 250 करोड़ की जालसाजी का केस लगाया था और वापस लेने के लिये फ्लैट की मांग की थी। बेटे-बहू के अचानक यूँ दुनिया छोड़ जाने से संतोष आनंद पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा और हिंदी फिल्मों के लिये एक से एक गीत लिखने वाले 81 वर्षीय संतोष आनंद जी जिन्होंने ‘मेघा रे मेघा’ ‘जिंदगी की ना टूटे लड़ी’ जैसे अमर गीत लिखे आज वह दाने-दाने को मोहताज है।
स्वाभिमानी गीतकार ने ठुकराई पांच लाख की पेशकश, फिर ऐसे माने
इंडियन आइडल-12 में नेहा कक्कड़ ने उन्हें 5 लाख रुपए की मदद देने की पेशकश की थी। लेकिन स्वाभिमानी संतोष आनंद ने लेने से मना कर दिया बाद में नेहा के यह कहने पर कि मुझे पोती समझकर ले लीजियेगा उन्होंने स्वीकार की। इंडियन आइडल में मौजूद सारे दर्शक फिल्मी दुनिया के कलाकार की इस हालात को देखकर रो पड़े और सारा हिंदुस्तान भी रो पड़ा। ईश्वर ऐसी सजा किसी को ना दें।