उज्जैन। जिला मातृ एवं शिशु अस्पताल (चरक) में जनवरी में प्रसूति के लिए भर्ती हुए महिलाओं में से 40 फीसदी से अधिक इलाज के दौरान छुट्टी लेकर निजी अस्पतालों में चली गईं। यह गड़बड़ी कलेक्टर के निरीक्षण के दौरान बुधवार को सामने आई। कलेक्टर ने इसकी जांच के लिए आदेश दिए हैं।
कलेक्टर आशीष सिंह बुधवार को चरक अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे। यहां रिकार्ड की जांच में सामने आया कि पिछले महीने जनवरी में इस अस्पताल में एक हजार से अधिक महिलाएं प्रसूति के लिये भर्ती हुईं। इनमें से 429 महिलाएं या तो प्रसव के दौरान या प्रसव उपरान्त स्वेच्छा से डिस्चार्ज होकर निजी अस्पताल में भर्ती हो गई या फिर बिना बताये ही अस्पताल छोडक़र चली गई।
इतनी बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाओं का अस्पताल से यूं चले जाने को कलेक्टर ने गंभीरता से लिया और इस मामले की जांच करने के लिये जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिये हैं। कलेक्टर ने साथ ही गुरूनानक अस्पताल और सहर्ष अस्पताल को भी सात माह की डिलेवरी करवाने पर नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महावीर खंडेलवाल, सिविल सर्जन डॉ. पीएन वर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संगीता पलसानिया मौजूद थी।
कलेक्टर ने लगभग तीन घंटे अस्पताल में रहकर अलग-अलग फ्लोर पर बने हुए मेटरनिटी हॉस्पिटल, आईओटी तथा पोषण पुनर्वास केन्द्र का निरीक्षण किया। पोषण पुनर्वास केन्द्र पर मात्र तीन कुपोषित बच्चे भर्ती पाये जाने पर उज्जैन शहर एवं उज्जैन ग्रामीण के चार परियोजना अधिकारियों को कारण बताओ सूचना-पत्र जारी करने के निर्देश दिये हैं।
निजी में ऑपरेशन के बाद फिर चरक में भर्ती
कलेक्टर ने प्रीमेच्योर प्रसव वार्ड में जाकर महिलाओं से सघन पूछताछ की तथा उनसे पूछा कि वे कितने दिनों से यहां भर्ती हैं। पूछताछ में खुलासा हुआ कि भर्ती महिलाओं में से कुछ महिलाएं प्रायवेट अस्पताल में भी ऑपरेशन करवाने के बाद पुन: चरक में भर्ती हुई हैं।
बडऩगर निवासी सुल्ताना ने बताया कि वे पहले शासकीय अस्पताल में भर्ती हुई फिर किसी मेडम के कहने पर सहर्ष अस्पताल में चली गई। वहां पर दो दिन भर्ती रही, ऑपरेशन से बच्चा हुआ जो सात माह का था। अब फिर से शासकीय अस्पताल लौटी हैं। यहां पर उनके प्रीमेच्योर बच्चे का और उनका इलाज चल रहा है। निजी अस्पताल में एक लाख रुपये खर्च हो गए।
इसी तरह उज्जैन निवासी दिलशाना ने कलेक्टर को पूछताछ में बताया कि वे भी पहले शासकीय अस्पताल में भर्ती हुई थी। यहां से गुरूनानक हॉस्पिटल में जाकर ऑपरेशन करवाया और फिर पुन: शासकीय अस्पताल में भर्ती हो गई हैं।
कलेक्टर ने उक्त दोनों मामलों को गंभीरता से लेते हुए दोनों ही प्रकरण में किसके कहने से मरीज शासकीय अस्पताल छोडक़र प्रायवेट में गया और फिर पुन: शासकीय अस्पताल में लौटा है, इसके बारे में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दिये हैं।
दोषियों पर होगी कड़ी कानूनी कार्रवाई करेंगे
कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा है कि सघन जांच के उपरान्त इसमें अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारियों संलिप्तता एवं निजी नर्सिंग होम की मिलीभगत पाये जाने पर दोनों ही के विरूद्ध कड़ी वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। कलेक्टर ने मौके पर डिस्चार्ज ऑन रिक्वेस्ट एवं बिना बताये डिस्चार्ज होने वाले मरीजों के जनवरी माह के आंकड़े अपने समक्ष कम्यूटर सेक्शन में जाकर निकलवाये तथा आंकड़ों के आधार पर डिस्चार्ज ऑन रिक्वेस्ट और बिना बताये डिस्चार्ज होने वाले मरीजों का प्रतिशत 42 होने पर चिन्ता व्यक्त की तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन को निर्देशित किया कि इस सम्पूर्ण मामले की तह तक जाकर दोषी व्यक्तियों को चिन्हित किया जाये। कलेक्टर ने इसी तरह 1 से 20 फरवरी तक की डाटाशीट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।