केमिकल युक्त रंग नुकसानदायक, डॉक्टर की सलाह-प्राकृतिक रंगों से खेलें होली

किडनी और आंखों को नुकसान से बचें, कैंसर सहित अन्य बीमारियों का जनक

उज्जैन, अग्निपथ। फाल्गुन महीने में होली का उत्साह बाजारों में दिखने लगा है। रंगों के इस त्योहार के लिए बाजारों में तरह-तरह के रंग उपलब्ध हैं, लेकिन इनमें कई केमिकल युक्त रंग भी बिक रहे हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाने के साथ कैंसर तक का कारण बन सकते हैं। ऐसे में प्राकृतिक रंगों का उपयोग कर त्वचा और स्वास्थ्य की सुरक्षा की जा सकती है।

भारतीय परंपरा में होली का त्योहार रंग-गुलाल के साथ हर्षोल्लास से मनाया जाता है। सभी वर्गों के लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर भाईचारे और खुशहाली की शुभकामनाएं देते हैं। पहले पारंपरिक रूप से प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता था, लेकिन अब बाजार में केमिकल युक्त रंगों की भरमार हो गई है, जो शरीर और त्वचा के लिए घातक साबित हो सकते हैं।

चर्म व एलर्जी रोग विशेषज्ञ डॉ. जुजर हुसैन ने बताया कि होली हमारे परंपरागत पर्वों में से एक है, जो भेदभाव को मिटाकर सबको एक रंग में रंगने का संदेश देता है। पहले के समय में प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग होता था, लेकिन अब केमिकल युक्त रंगों का दौर है, जो खतरनाक साबित हो सकते हैं।

यदि अत्यधिक मात्रा में केमिकल युक्त रंगों का उपयोग किया जाए और सन एक्सपोजर (धूप का संपर्क) हो, तो यह त्वचा के कैंसर को जन्म दे सकता है। इसलिए डॉक्टर प्राकृतिक रंगों के उपयोग की सलाह देते हैं।

केमिकल युक्त रंगों के दुष्प्रभाव

  • काला रंग – इसमें लेड ऑक्साइड की मात्रा होती है, जो पेट में जाने पर किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • हरा रंग – इसमें कॉपर सल्फेट होता है, जिससे त्वचा में एलर्जी और जलन हो सकती है।
  • सिल्वर रंग – इसमें एल्युमिनियम ब्रोमाइड होता है, जो शरीर के लिए हानिकारक है।
  • नीला रंग – इसमें प्रेशन ब्ल्यू पाया जाता है, जो त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।

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